गुवाहाटी। भारत की शक्ति का मुख्य आधार आध्यात्मिकता और संगठन है। संगठन और आध्यात्मिकता जब तक भारत में रहेगी तब तक भारत भी जीवित व प्राणवान रहेगा।
जिस दिन अध्यात्म पर संकट दिखाई देगा, उसी दिन से भारत का विनाश आरंभ हो जाएगा। उपरोक्त बातें शनिवार की सुबह राजधानी के बाहरी इलाके में स्थित धारापुर में एक बौद्धिक के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कही।
उल्लेखनीय है कि धारापुर में जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, गुवाहाटी के आह्वान पर जैन मुनि आचार्य महाश्रमण चातुर्मास कर रहे हैं। प्रतिदिन यहां पर धार्मिक सभाएं आयोजित होती हैं।
संघ प्रमुख ने शनिवार सुबह 10 बजे चातुर्मास परिसर में पहुंचकर आचार्य श्री से मुलाकात की। इस अवसर पर आयोजित एक धर्मसभा में बौद्धिक देते हुए मोहन भागवत ने कहा कि संघ की विचाराधारा और तेरापंथ की भावधारा में काफी समानता है।
उन्होंने कहा कि चिंतन और भावबोध एक होने के बावजूद दोनों की कायर्पद्धति में भिन्नता है। तेरापंथ सांगठनिक शक्ति के समान ही अध्यात्म का प्रचार और प्रसार बेहतर तरीके से कर रहा है। उन्होंने कहा कि संघ भी इसी तरह का काम कर रहा है, किंतु इसकी पद्धति अलग है।
उन्होंने कहा कि अध्यात्मिकता और संगठन ही असल में भारत की शक्ति का मूल केंद्र हैं। बौद्धिक से पहले संघ प्रमुख ने महाश्रमण और महाश्रमणियों से आशीर्वाद लिया। इस मौके पर तेरापंथ समाज की ओर से संघ प्रमुख का परंपरागत रूप से स्वागत किया गया। बौद्धिक सुनने के लिए चातुर्मास परिसर में काफी संख्या में लोग मौजूद थे।