नई दिल्ली। भोपाल केंद्रीय कारागार से फरार प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया के आठ सदस्यों के भोपाल के पास मुठभ्रेड में मारे जाने को लेकर सियासत गरमा गई हैं और इस मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष खुल कर तलवारे भांज रहे हैं।
एक तरफ जहां मध्य प्रदेश सरकार इस मामले की निष्पक्ष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा जांच कराने की बात कर रही हैं विपक्षी पार्टियों ने न्यायिक जांच की मांग की हैं।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सिमी आतंकियों के मुठभेड़ पर सवाल उठाने वाले नेताओं पर ओछी राजनीति करने का आरोप लगाया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग इस एनकाउंटर पर सवाल खड़े कर रहे हैं उन्हें मारे गए पुलिसकर्मियों के लिए भी दो शब्द बोलने चाहिए।
सिमी आतंकियों के हाथों मारे गए हेड कांस्टेबल रमाशंकर यादव के अंतिम संस्कार में शामिल होने पहुंचे सीएम शिवराज ने विपक्षी पार्टियों पर हमला बोला।
उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं पर घटिया राजनीति से बाज आया जाना चाहिए। मारे गए जवान पर दो शब्द भी नहीं बोले गए, ऐसी राजनीति और नेताओं पर लानत हैं।
शिवराज ने कहा कि मेरे मन में तकलीफ है। लेकिन पता नहीं राजनीति कैसी हो गई है। हमारे देश के कुछ नेताओं को शहीदों की शहादत दिखाई नहीं देती है।
वही सूबे के गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि जब भी कोई आतंकवादी किसी एनकाउंटर में मारा जाता है तो देश में कुछ लोग खासकर कांग्रेसी शक करने लगते हैं।
उन्होंने कहा कि किसी जांच की कोई जरूरत नहीं है, पुलिस ने सारी जानकारी मुहैया करा ही दी है। एनआईए सिर्फ जेल से भागे संदिग्ध आतंकियों के कनेक्शन की जांच करेगी।
मध्य प्रदेश की जेलमंत्री कुसुम मेहदाले ने कुछ ‘कमियों’ को कबूल किया, लेकिन कहा कि हमारी तारीफ होनी चाहिए कि हमने आरोपियों के भाग निकलने के बावजूद उन्हें मार गिराया।
विचाराधीन कैदियों के फरार होने के मामले में भोपाल जेल के प्रमुख जेल अधीक्षक का कहना है कि यह घटना तो होनी ही थी।
भोपाल जेल के हेड जेलर एलकेएस भदौरिया ने कहा कि हमारी जेल में सिमी के 29 लोग हैं, सिमी के इतने कैदी एक जगह होंगे तो ऐसी घटना होगी ही, हालांकि भदौरिया ने यहां यह भी माना कि प्रशासन के स्तर पर गलती हुई है।
भदौरिया ने कहा कि हम चाहते थे सिमी के इतने कैदी एक साथ यहां नहीं रहें। हमने उन कैदियों को दूसरी जेलों में भेजने की भी काफी कोशिश की, लेकिन उन्हें दूसरी जगह भेजा नहीं जा सका।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने घटना का संज्ञान लेते हुए इस मामले पर मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर उससे छह हफ़्तों में एक रिपोर्ट मांगी हैं।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि पुलिस पर सवाल उठाना और संदेह करना बंद होना चाहिए और सिर्फ किसी भी वीडियो के आधार पर किसी नतीजे पर नहीं पहुचना चाहिए।
रिजिजू ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि हम लोगों ने संदेह पैदा करने की आदत बना ली है, सच्चाई सामने आ ही जाएगी। मैं किसी भी संभावना को खारिज नहीं कर रहा हूं, लेकिन सिर्फ एक वीडियो क्लिप के आधार पर आप इस तरह संदेह नहीं खड़े कर सकते।
उन्होंने पुलिस और प्राधिकारी पर संदेह करने की प्रवृति की निंदा करते हुए कहा कि सच शीघ्र सबके सामने आ जाएगा।
रिजिजू ने कहा कि हम लोग संघर्ष विराम के उल्लंघन को लेकर सीमा पर कई तरीके की चुनौतियों का सामना कर रहे है और हमारी सेनाएं अच्छा माकूल जवाब दे रही हैं।
पुलिस की मुठभेड़ के बाद विवाद शुरू हो गया और टीवी चैनलों पर कथित तौर पर मुठभेड़ स्थल के फुटेज दिखाए गए जिनमें एक पुलिसकर्मी को करीब से एक व्यक्ति को गोली मारते देखा जा सकता है।
इससे पहले कुछ अज्ञात लोगों को एक वस्तु निकालते और वापस रखते हुए भी देखा जा सकता है जो प्लास्टिक के कवर में एक चाकू जैसा दिख रहा है।
केन्द्रीय मंत्री एम वैंकेया नायडू ने कहा कि कुछ लोग सिमी आतंकियों की मुठभेड़ पर घटिया राजनीति कर रहे हैं और इसे धार्मिक रंग देने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को आतंकियों की चिंता है, कुछ को सिमी की चिंता है, कुछ लोगों को उन लोगों की चिंता है जो जेल से भाग गए हैं उन लोगों की चिंता है जो हमेशा कानून तोड़ते हैं।
ये लोग उन लोगों के बारे में ज्यादा चिंता जता रहे हैं बजाए भारतीयों की सुरक्षा और भारत एक राष्ट्र की चिंता करने के। कुछ लोगों को ऐसा करने की आदत बन गई है। उन्होंने कहा कि अब कुछ लोग इसे सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले आंध्र ओड़िशा सीमा पर 28 से 29 माओवादी मारे गए। उस समय किसी ने उनकी जाति के बारे में नहीं कहा न ही उनके धर्म के बारे में पूछा लेकिन आज अचानक धर्म के बारे में बात हो रही है। यह घटिया राजनीति है और हमें इससे बचना चाहिए।
दूसरी तरफ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता प्रकाश करात ने कहा कि जिस तेज़ी से भोपाल केंद्रीय कारागार से सिमी के आठ आतंकवादियों के जेल से फ़रार होने और फिर मुठभेड़ में मारे जाने की ख़बर आई, उससे संदेह पैदा होता है और इसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि एनआईए की बजाय इस पूरे घटनाक्रम की न्यायिक जांच होनी चाहिए तथा सच जल्द से जल्द सबके सामने आना चाहिए।
कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी(बसपा) ने भी मुठभेड़ की वास्तविकता पर सवाल उठाए हैं और न्यायिक जांच की मांग की हैं।
कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर सिमी आतंकियों के जेल से फरार होने और उनके एनकाउंटर पर सवाल उठाए हैं। दिग्विजय सिंह ने कहा कि मुस्लिम कैदी ही जेल तोड़कर क्यों भागते हैं।
भोपाल जेल ब्रेक को लेकर सबसे पहले सवाल उठाने वाले दिग्विजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एनआईए से जांच करने की मांग की है। दिग्विजय ने कहा कि इस बात की भी जांच होना चाहिए कि सिर्फ मुस्लिम कैदी ही क्यों जेल से भागते हैं और कोई हिंदू नहीं।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि मुझे ना सिमी से प्रेम है ना बजरंग दल से, मैं उन सभी के खिलाफ हूं जो धर्म के नाम उन्माद फैलाकर राजनीति करते हैं. इसमें औवेसी भी शामिल हैं।
वहीं दिग्विजय ने ट्वीट के जरिए अदालत की निगरानी में मामले की जांच करवाने की भी मांग की। बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा हैं कि मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए और मुठभेड़ का सच सबके सामने आना चाहिए।
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