कोरबा। आम जनता की सुविधा के लिए चालू की गई 108 संजीवनी एक्सप्रेस का लाभ जिले के वनांचल क्षेत्र के ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है।
वनांचल ग्राम घांठाद्वारी का आदिवासी ग्रामीण किशनलाल अपनी बीमार मां को गोद में उठाए 13 किलोमीटर दूर लेमरू अस्पताल पैदल पहुंचा।
क्षेत्र में संजीवनी एंबुलेंस की सेवा नहीं है और जरूरत पड़ने पर कोरबा से वाहन के आने का इंतजार करना पड़ता है। इंतजार में कहीं देर न हो जाए इसलिए उसने खुद अपनी मां को गोद में उठाकर अस्पताल ले जाना उचित समझा।
ग्राम पंचायत लेमरू कोरबा जिला मुख्यालय से करीब 88 किलोमीटर दूर है। लेमरू स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में आसपास के दो दर्जन से ज्यादा आदिवासी बाहुल्य गांव के ग्रामीण इलाज के लिए निर्भर हैं।
यहां के बाद क्षेत्र के ग्रामीणों को बाल्को या जिला अस्पताल आना पड़ता है। यही वजह है कि यहां स्वास्थ्य विभाग ने एक एमबीबीएस चिकित्सक, एक आयुर्वेदिक व दो त्रिवर्षीय डिप्लोमा धारक आरएमए चिकित्सकों को नियुक्त कर रखा है।
बावजूद इसके लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए परेशान होना पड़ रहा है। एक ऐसा ही मामला शुक्रवार की दोपहर उस वक्त सामने आया, जब लेमरू से लगे ग्राम घांठाद्वारी में रहने वाले किशनलाल को अपनी मां को गोद में उठाए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेमरू की ओर जाते देखा गया।
किशनलाल ने बताया कि उसकी मां फूलबाई को बुखार है और वह उसे पीएचसी लेमरू लेकर जा रहा है। संजीवनी 108 एंबुलेंस की सुविधा नहीं है और उसके पास इतने पैसे नहीं कि निजी वाहन की व्यवस्था कर सके।
सीएमएचओ डॉ पी एस सिसोदिया ने बताया कि मामले की पुष्टि नहीं हुई है और जांच के लिए ब्लाक चिकित्सा अधिकारी डॉ दीपक सिंह राज को जांच के लिए रवाना कर दिया गया है।