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बीच में फंस गई मोदी लहर, नहीं पहुंच सकी श्रीनगर - Sabguru News
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बीच में फंस गई मोदी लहर, नहीं पहुंच सकी श्रीनगर

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PDP largest party in hung Jammu & Kashmir assembly bjp second

जम्मू। जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में मिशन 44 प्लस को लेकर उतरी भारतीय जनता पार्टी ने मोदी लहर की बदौलत ऎतिहासिक जीत हासिल कर ली लेकिन यह लहर जवाहर सुरंग से आगे नहीं पहुंच सकीं और पार्टी घाटी तथा लद्दाख में खाता भी नहीं खोल सकी।

जम्मू में मोदी की जबर्दस्त सुनामी चली जिसकी बदौलत भाजपा ने संभाग की 37 में से 25 सीटों पर कब्जा कर लिया। इससे पहले पार्टी ने 2008 के विधानसभा चुनाव में बम भोले आन्दोलन की बदौलत सर्वाधिक 11 सीटें हासिल की थीं। पार्टी मिशन 44 प्लस के लक्ष्य से 19 सीटें पीछे रह गई। यह मिशन हासिल करने के लिए उसे 46 सीटों वाली कश्मीर घाटी और चार विधानसभा क्षेत्र वाले लद्दाख में खाता खोलना जरूरी था।

हालांकि अल्पसंख्यक बहुल इन क्षेत्रों में अपनी पहुंच बनाने के लिए पार्टी ने अनुच्छेद 370 के मुद्दे को छोड़ दिया और कई पूर्व तथा मौजूदा अलवावादियों से संपर्क साधा। तमाम केंद्रीय मंत्रियों और देश के विभिन्न हिस्सों से आए मौलवियों ने भी घाटी के मतदाताओं को भाजपा के विकास के मुद्दे का झुनझुना दिखाया लेकिन पार्टी को यहां सफलता नहीं मिल सकी। इन दोनों क्षेत्रोंं में एक भी सीट हासिल करने के बावजूद त्रिशंकु विधानसभा में पार्टी की स्थिति मजबूत है और सत्ता की कुजी उसके हाथ में है।

PDP largest party in hung Jammu & Kashmir assembly

पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती का कहना है कि वह किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं है और बहुत सोच समझकर इस दिशा में कदम उठाएंगी लेकिन मुख्यमंत्री पद के दावेदार मुफ्ती मोहम्मद सईद ने यह कहकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ जाने के साफ संकेत दे दिए कि मतदाताओं ने कांग्रेस तथा नेशनल कांफ्रेंस दोनों को ही नकार दिया है। वैसे कांग्रेस ने बिन मांगे ही अपनी ओर से पीडीपी को समर्थन देने की बात कह कर राज्य के ठंड़े मौसम की राजनीति को कुछ गर्मा जरूर दिया।

दूसरी तरफ भाजपा ने भी पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के साथ मिलकर सत्ता हासिल करने के लिए गणित बिठाना शुरू कर दिया है लेकिन वह अपनी तरफ से अभी कोई पहल करने से बच रही है।

जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस सत्ता से बाहर हो गई और सत्ता में उसकी सहयोगी रही कांग्रेस ने पूरे नतीजे आने से पहले ही पीडीपी का दामन थामने का इरादा जता दिया जो सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में उभरी है। इसी के साथ राज्य में एक बार फिर पीडीपी और कांग्रेस की सरकार बनने की भी अटकलें तेज हो गई हैं।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने चुनाव नतीजों पर आरंभिक प्रतिक्रिया में कहा कि कांग्रेस पीडीपी को समर्थन देने के लिए तैयार है। अब उसे तय करना है कि वह सांप्रदायिक ताकतों भाजपा के साथ जाना चाहती है अथवा नहीं। दूसरी ओर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि भाजपा की ओर सभी विकल्प खुले हैं और वह बाकी दलों के रूख का इंतजार करेगी।

जम्मू कश्मीर की 87 सदस्यीय विधानसभा में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने 28 सीटें जीती जबकि दूसरे स्थान पर रही भाजपा की झोली में 25 सीटें गई हैं। नेशनल कांफ्रेंस को 15 सीटें और कांग्रेस 12 सीटें प्राप्त हुई। बाकी सात सीटें अन्य के खाते में गई। भाजपा कश्मीर घाटी में खाता नहीं खोल पाई जबकि पीडीपी नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने घाटी और जम्मू दोनों ही क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज की।

जम्मू कश्मीर की जनता ने इस बार भी राज्य में किसी एक पार्टी को शासन करने का अधिकार नहीं दिया है। वर्ष 2002 से 2008 तक पीडीपी के साथ गठबंधन में कांग्रेस थी जबकि वर्ष 2008 से 2014 तक कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस की सरकार थी।

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