नई दिल्ली। तमिलनाडु में सांड़ों के साथ जानलेवा खेल जलीकट्टू मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान तमिलनाडु ने कहा कि जब आदमी मैराथन में हिस्सा ले सकते हैं तो सांड़ क्यों नहीं हिस्सा ले सकते?
तमिलनाडु की ओर से वकील शेखर नफड़े ने जलीकट्टू परंपरा की वकालत की। सुनवाई के दौरान एएसजी नरसिम्हा ने कहा कि जलीकट्टू में जानवरों के अधिकार का हनन हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने जलीकट्टू को मनोरंजन कहने पर आपत्ति जताई। कोर्ट मामले की अगली सुनवाई 16 नवंबर को करेगी। इससे पहले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि महज परंपरा के नाम पर किसी चीज को जायज नहीं ठहराया जा सकता है।
कोर्ट ने पूछा था कि जलीकट्टू को क्या इजाजत दे देनी चाहिए भले ही वो 5000 साल पुरानी परंपरा हो और कानून के दायरे से बाहर हो। अगर तमिलनाडू सरकार हमें संतुष्ट करे कि हमारा रोक लगाने का फैसला सही नहीं तो मामले को संवैधानिक बेंच को भेज देंगे।
केंद्र सरकार ने जलीकट्टू पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था और कहा था कि जलीकट्टू से रोक हटाई जानी चाहिए।
यह कोई खूनी खेल नहीं है, न ही सांडों को कोई नुकसान होता है। यह पुरानी परंपरा है जिसमें 30 सेकेंड से लिए सांड को काबू कर शक्ति प्रदर्शन किया जाता है।