इस्लामाबाद। डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति चुने जाने के बाद पाकिस्तान डर गया है। पाकिस्तानियों को इस बात की चिंता सताने लगी है कि हाल के वर्षों में भारत और अमेरिका की नजदीकी बढ़ी है और ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद दोनों देश एक-दूसरे के और करीब आ सकते हैं।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक लाहौर स्थित विदेशी मामलों के जानकार हसन असकारी रिजवी ने कहा कि अमेरिका पाकिस्तान का त्याग नहीं करेगा लेकिन पाकिस्तान के लिए हिलेरी क्लिटंन के मुकाबले डोनाल्ड ट्रंप एक सख्त राष्ट्रपति साबित होंगे। मुझे लगता है कि पाकिस्तान के मुकाबले अमेरिका के संबंध भारत से बेहतर होंगे।
दक्षिण एशिया को लेकर अभी ट्रंप को अपनी विस्तृत नीति रखनी है, हालांकि ट्रंप ने हाल ही में कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने की पेशकश की थी।
गत मई में ‘फॉक्स न्यूज’ के साथ बातचीत में ट्रंप ने कहा था कि राष्ट्रपति बनने के बाद वह अफगानिस्तान में करीब 10000 अमेरिकी सुरक्षा बलों को रखना पसंद करेंगे क्योंकि ‘अफगानिस्तान पाकिस्तान के ठीक बगल में है और उससे जुड़ा हुआ है और उसके पास परमाणु हथियार हैं।’
बुधवार को पाकिस्तान में एक अमेरिकी राजनयिक ने यह भरोसा दिलाने की कोशिश की कि ट्रंप के चुने जाने से इस्लामाबाद के प्रति नीतियों में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा।
कराची स्थित महावाणिज्य दूतावास के अधिकारी ग्रेस शेल्टन ने ‘जिओ न्यूज’ से कहा कि हमारी विदेश नीति राष्ट्रीय हित पर आधारित होती है और यह सरकार बदलने के साथ नहीं बदलती। ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने उन्हें बधाई दी है।
पाकिस्तानी सीनेटर और अमेरिका में पूर्व राजपूत शेरी रहमान ने कहा कि ट्रंप थोड़ा एक वाइल्ड की तरह हैं। अमेरिका जिस किसी को भी चुने उसके साथ आगे बढ़ने से पाकिस्तान इंकार नहीं कर सकता लेकिन ट्रंप की मुस्लिम विरोधी सोच अनिश्चितता वाले माहौल में संबंधों पर छाया डाल सकती है।