टोक्यो। भारत और जापान के बीच शुक्रवार को ऐतिहासिक असैन्य परमाणु करार हुआ। दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल पर सहमति बनी।
इस समझौते के बाद जापान भारत को परमाणु तकनीक निर्यात करेगा। भारत, जिसने अभी तक परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किया है, जापान के साथ परमाणु करार करने वाला पहला गैर एनपीटी देश बन गया है।
जापान के प्रधानमंत्री शिन्ज़ो अबे के साथ यहां वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत-जापान असैन्य परमाणु करार स्वच्छ उर्जा साझेदारी के निर्माण के हमारे संबंधों की तरफ एक ऐतिहासिक कदम है।
हमारी सामरिक साझेदारी न केवल हमारे समाज के लिए अच्छी और सुरक्षित है, बल्कि इससे इलाके में शांति और स्थिरता आई है। उन्होंने कहा कि परमाणु क्षेत्र में हमारा साथ जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी सहायक होगा।
इस अवसर मोदी ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता का समर्थन करने के लिए प्रधानमंत्री अबे का धन्यवाद दिया।
अबे के दिसंबर 2015 में भारत दौरे के समय दोनों देशों के बीच असैन्य परमाणु समझौते पर सहमति बन गई थी लेकिन उस पर अंतिम मुहर लगनी बाकी थी। भारत और जापान के बीच असैन्य परमाणु समझौते को लेकर कई सालों से बातचीत चल रही थी।