नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत ने शुक्रवार को कहा कि मातृशक्ति (नारीशक्ति) के बिना भारत परम वैभव को नहीं पा सकता और न ही विश्व के लिए प्रेरणा बन सकता है।
दिल्ली में राष्ट्र सेविका समिति के तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकर्ता प्रेरणा शिविर का उद्घाटन करते हुए श्री भागवत ने मातृशक्ति एवं परिवार के संस्कारों को विशेष स्थान दिए जाने पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि भारत जैसी कुटुंब व्यवस्था दुनिया के किसी देश में नहीं है और अब ये विश्व के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है। पर्यावरण को गंभीर समस्या मानते हुए उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रगति के कारण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं जन्म ले रही हैं। पूरी दुनिया आज पर्यावरण की चिंता कर रही है।
उन्होंने कहा कि दुनिया समीक्षा सम्मेलन कर रही है लेकिन ठोस कदम नहीं उठा रही। पांच सौ और एक हजार के नोटों का बंद किये जाने के विषय पर भागवत ने कहा कि आधुनिक तकनीक देखते हुए भविष्य में सारा लेन-देन कैशलेस हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि भविष्य में बढ़ती कट्टरता और आतंकवाद चिंता का विषय है और कहा कि कुछ लोग और देश आतंकवाद को बढ़ावा और संरक्षण दे रहें हैं। राष्ट्र सेविका समिति ने अपनी स्थापना के 80 वर्ष पूरे होने के अवसर पर दिल्ली में तीन दिन के प्रेरणा शिविर का आयोजन किया है। जिसमें देशभर से 3000 सेविकाएं हिस्सा ले रहीं हैं।
उदघाटन समारोह में जैन मुनि जयंत कुमार ने कहा कि संघ और जैन धर्म त्याग की राह पर चलते हुए समाज और देश के लिए सराहनीय कार्य कर रहें हैं और ये एक नदी के दो किनारे समान हैं।
उन्होंने इस बात पर चिंता जताई की ज्यादातर सत्ताधारी लोग पहले अपना स्वार्थ, फिर पार्टी का स्वार्थ और अंत में राष्ट्रहित के बारे में सोचते हैं। लेकिन सबसे पहले देश हित आना चाहिए।
इस उद्घाटन समारोह में गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा, पंजाब केसरी समूह की निदेशक किरण चोपड़ा और अनेक केंद्रीय मंत्रियों की पत्नियां भी उपस्थित रहीं।