गोपेश्वर। हिन्दुओं की आस्था के धाम श्री बदरीनाथ के कपाट बुधवार को शीतकाल के लिए धार्मिक रीति रिवाजों और वेदमंत्रोच्चारण के बाद बंद हो गए हैं।
राज्य के मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत हजारों श्रद्वालुओं ने भगवान के कपाट बंद होने की रस्म देखी और भगवान के दर्शन किए। भगवान बदरी विशाल के कपाट बंद होने से पूर्व भगवान की एक झलक देखने के लिए हजारों की संख्या में भक्त उमड़ पड़े।
भारत ही नहीं दुनिया के अलग-अलग कोनों से देशी विदेशी भक्त भी बदरीनाथ पहुंचे थे। मान्यता है कि कपाट बंद होने पर देवता भगवान के दर्शन करेंगे और देवऋषि नारद मुख्य पुजारी रावल की भूमिका में रहेंगे।
कपाट बंद होने पर भगवान के उत्सव विग्रह के रूप में उद्वव जी का विग्रह पांडुकेश्वर लाया जाया जाएगा। छह माह तक योगध्यान बदरी पांडुकेश्वर में भगवान की पूजा होगी। साथ में कुबेर जी भी आएंगे।
बदरीनाथ के कपाट बंद होने के अवसर पर यूं तो भगवान से बिछड़ने का विछोह सब में दिखा। मगर इस विछोह को भगवान की स्तुति गान के रूप में प्रकट किया गया।
भगवान बदरी विशाल के भजनों और उनकी प्रशसा में गीत गाकर लोग झूमे। बदरीनाथ के कपाट बंद होने पर गढवाल स्काउट ने परंपरा के अनुसार बैंड बाजों की स्वर लहरियां विखेरी जिसे सबने खूब सराहा।
मुख्यमंत्री हरीश रावत भी झूमने से अपने आप को रोक नहीं पाए। उन्होंने गढवाल स्काउट के रामढोल पर थाप लगाई। भगवान बदरी विशाल के कपाट बंद होने पर विभिन्न स्वयं सेवी संस्थाओं ने निशुल्क भंडारे का आयोजन किया।
गढवाल स्काउट, आर्मी तथा दानी दाताओं और अन्य स्वयं सेवी संस्थाओं ने निशुल्क भंडारे का आयोजन किया। कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने झंगोरे की खीर परोसी।
शीतकाल में कपाट बंद होने पर भगवान के धाम बदरीविशाल की सुरक्षा उत्तराखंड पुलिस के हाथों में होगी। 15 जवानों की तैनाती सुरक्षा व्यवस्था में रहेगी। अलग-अलग पारी पुलिस मंदिर की सुरक्षा दिनरात पूर्व उत्तर और दक्षिण के द्वारों की जाएगी।