नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के मंत्री आजम खान को निर्देश दिया कि वे बुलंदशहर रेप पीड़िता के लेकर अपने बयान पर माफीनामे से संबंधित हलफनामा दो हफ्ते के अंदर कोर्ट में पेश करें।
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को ये निर्देश दिया कि गैंगरेप के नाबालिग पीड़िता की शिक्षा के लिए खर्च का वहन करे। सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल से कहा कि वो मंत्रियों को उनके बयानों के लिए जवाबदेह बनाने के लिए दिशानिर्देश देने के लिए कोर्ट की मदद करें।
कोर्ट की फटकार के बाद आजम खान सुप्रीम कोर्ट में अपने बयान को लेकर बिना शर्त माफी मांगने को तैयार हो गए। सुनवाई के दौरान पहले तो उन्होंने कोर्ट का ध्यान भटकाने के लिए दूसरी सरकारों के मंत्रियों के बयानों का उदाहरण दिया।
उनके वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि रेप पीड़िता के रिश्तेदार द्वारा दायर किए गए केस में अब आगे मत बढ़ें लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आगे की कार्रवाई करने का संकेत दिया। उसके बाद कपिल सिब्बल ने रेप पीड़िताओं से बिना शर्त माफी मांगने की बात कही।
इस मामले में एमिकस क्युरी फाली एस नरीमन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को उन मंत्रियों के व्यवहार और कर्तव्यों पर एक दिशानिर्देश जारी करना चाहिए जो किसी भी तरह का सार्वजनिक बयान दे देते हैं। कोर्ट ने कहा कि हम आजम खान को जेल तो नहीं भेज सकते लेकिन हम उनके बयानों के लिए जुर्माना जरूर लगा सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि यूपी के बुलंदशहर में मां-बेटी से गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट याचिका दायर की गई है। इससे पहले सुनवाई में यूपी के मंत्री आजम खान ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि उन्होंने यह बयान नहीं दिया था कि गैंगरेप के पीछे राजनीतिक साजिश है।
आजम खान की ओर से पेश कपिल सिब्बल ने कहा था कि आजम ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया था कि गैंगरेप राजनीतिक साजिश है। उनके बयानों को तोड़मरोड़ कर पेश किया गया वह इसका रिकॉर्ड भी दिखाने को तैयार हैं।
जबकि सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के मंत्री आजम खान को कहा कि आप इस आरोप का जवाब दीजिए। कोर्ट ने कहा कि इतने सारे अखबार कैसे गलत खबर छाप सकते हैं। प्रेस की भी देश के प्रति जवाबदेही होती है।