भोपाल। रविवार की सुबह बेहद दुखद खबर के साथ शुरू हुई। पटना से इंदौर जाने वाली ट्रेन इंदौर-पटना राजेंद्र नगर एक्सप्रेस के 14 डब्बे तडक़े 3 बजे कानपुर देहात के पुखरांया स्टेशन के पास पटरी से उतर गए। इस भीषण हादसे में 100 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की आशंका हैं।
जानकारी के मुताबिक मरने वालों की संख्या बढ़ भी सकती है। जबकि इस हादसे में सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं। इस भीषण हादसे में मध्य प्रदेश् के कई यात्रियों की मौत हो गई।
जानकारी के अनुसार इस हादसे में भोपाल रेल मंडल के 7 यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 33 गंभीर रूप से घायल हैं। 41 यात्री मामूली रूप से घायल हैं। बीना के 13 यात्री घायल बताए जा रहे हैं।
यह पहला मौका नहीं हैं जब इतना भीषण ट्रेन हादसा हुआ हैं। पिछले छह सालों के आंकड़ों पर नजर डाले तो ऐसे कई विभत्स रेल हादसे घटित हुए हैं जिसमें मासूम लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी हैं। लेकिन इन सब से सबक नहीं लिया जाता हैं।
पिछले साल अगस्त 2015 में ऐसी ही एक भीषण ट्रेन दुर्घटना में हरदा के पास दो ट्रेनें पटरी से उतर गई थी। कामायनी एक्सप्रेस और जनता एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने से इस हादसे में 29 लोगों की मौत हुई थी।
इसी वर्ष 13 फरवरी 2015 को हुए एक अन्य रेल हादसे में बेंगलुरू से एर्नाकुलम जा रही एक एक्सप्रेस ट्रेन की आठ बोगियां होसुर के समीप पटरी से उतर गईं। इसमें दस लोगों की मौत हो गई।
वर्ष 2014:- सबसे ज्यादा 2014 में कुल 7 अलग अलग ट्रेन हादसे हुए। वर्ष भर में हुए इन सभी ट्रेन हादसों में कुल मिलाकर 58 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए थे।
वर्ष 2013:- वर्ष 2013 में केवल दो ट्रेन हादसे घटित हुए। हालांकि दोनों ही हादसे विभत्स थे और इसमें भी कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। 2013 में पहला ट्रेन हादसा 10 अप्रैल को तमिलनाडु में अराक्कोनम के समीप सिथारी में हुआ।
यहां बेंगलुरू जा रही मुजफ्फरपुर-यशवंतपुर एक्सप्रेस की 11 बोगियों के पटरी से उतर जाने से एक यात्री की मौत हो गई जबकि 33 अन्य घायल हो गए। वहीं दूसरा हादसा 19 अगस्त 2013 को बिहार के खगडिय़ा जिले में राजरानी एक्सप्रेस ट्रेन की चपेट में आकर 28 लोगों की मौत हो गई थी।
वर्ष 2012:- 6 जनवरी 2012 को दिल्ली जा रही ब्रह्मपुत्र मेल और एक मालगाड़ी के बीच टक्कर में पांच लोगों की मौत हो गई थी। इस वर्ष की दूसरी बड़ी ट्रेन दुर्घटना 22 मई 2012 को बेंगलुरू जा रही हम्पी एक्सप्रेस आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में एक मालगाड़ी से टकरा गई। इस हादसे में 25 लोग मारे गए थे।
31 मई 2012 को हावड़ा से देहरादून जा रही दून एक्सप्रेस उत्तर प्रदेश में जौनपुर के निकट पटरी से उतर गई थी। इस हादसे में कम से कम सात लोगों की मौत हो गई थी। 30 जुलाई 2012 को दिल्ली से चेन्नई जा रही तमिलनाडु एक्सप्रेस की एक बोगी में आंध्र प्रदेश के नेल्लोर के समीप आग लग जाने से कम से कम 35 यात्री जिंदा जल गए।
वर्ष 2011:- 22 मई 2011 को बिहार के मधुबनी जिले में एक मानव रहित रेलवे क्रासिंग पर पैसेंजर ट्रेन एक वाहन से टकरा गई। इस हादसे में वाहन में सवार 16 लोगों की मौत हो गई थी।
7 जुलाई 2011 को उत्तर प्रदेश में एक मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग पर 80 यात्रियों को लेकर जा रही एक बस के रेलगाड़ी से टकरा जाने पर 31 लोगों की मौत हो गई थी। 22 नवंबर 2011 को झारखंड के गिरिडीह में हावड़ा-देहरादून एक्सप्रेस में आग लग जाने से सात लोग जिंदा जलकर मर गए।
वर्ष 2011:– इस वर्ष दो ट्रेन हादसे हुए। पहला हादसा 28 मई 2010 को पश्चिम बंगाल में रेल पटरियों में तोडफ़ोड़ के कारण ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस के 13 डिब्बे पटरियों से उतर गए और उनमें एक मालगाड़ी ने टक्कर मार दी थी।
इस हादसे में 148 लोगों की मौत हुई थी। इसी तरह दूसरा हादसा 19 जुलाई 2010 को सियालदह जा रही उत्तरबंगा एक्सप्रेस पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में सैंथिया स्टेशन पर वनांचल एक्सप्रेस से टकरा गई थी। इनसे 60 लोग मारे गए थे।
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