पणजी। जानी मानी अभिनेत्री एवं फिल्मकार रेणुका शहाणे का मानना है कि भारत में कलाकारों द्वारा अपनी राय रखने को महत्व नहीं दिया जाता और बोलने पर अक्सर उन्हें परेशान किया जाता है।
रेणुका ने कहा कि आम तौर पर लोग सोचते हैं कि अभिनेता काफी पैसा कमा रहे हैं और देश के लिए बहुत थोड़ा कर रहे हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण है। आम लोगों में एक तरह की ईष्र्या है। इसलिए जब उन्हें किसी अभिनेता के कुछ कहने पर उसे परेशान करने का मौका मिलता है तो वे ऐसा करते हैं।
निर्देशिका ने कहा कि अभिनेता अपना कर भरते हैं। उनके पास हॉलीवुड की सेलिब्रिटिज की तरह ही बोलने का हक है।
रेणुका 51 ने कहा कि हम करदाता हैं। हमारे पास सभी तरह के निर्णयों में हिस्सा लेने का अधिकार है और यह लोकतंत्र है और यह हमारा अधिकार भी है। दुनिया भर के कलाकार चीजों के बारे में गंभीर रूख अख्तियार करते हैं चाहे यह जलवायु परिवर्तन हो या राजनीतिक नस्लवाद।
उन्होंने कहा कि अगर हॉलीवुड या थाइलैंड या दक्षिण कोरियाई ऐसा कर सकते हैं तो हम क्योंं नहीं कर सकते हैं? यहां के अभिनेताओं को चीजों के बारे में कहने के लिए पर्याप्त महत्वपूर्ण नहीं समझा जाता है?
अभिनेत्री एनएफडीसी फिल्म बाजार के 10वें संस्करण में अपनी कहानी ‘त्रिभंगा’ कहने के लिए आई हुईं हैं। उन्होंने कहा कि और महिला कहानीकारों की जरूरत है क्योंकि भारतीय फिल्में अक्सर पितृसत्ता शहरी महिलाओं को कैसे प्रभावित करती है इस हिस्से को छू नहीं पाती हैं।
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