सबगुरु न्यूज-सिरोही। सोशल मीडिया पर भाजपा के एक समुह में रविवार रात को एक भाजपा पदाधिकारी की ओर से किया गया कमेंट पार्टी में चर्चा का विषय बना है। इसमें एक पदाधिकारी ने लिखा कि अब तक का सबसे नया मेसेज, सिरोही शहर कश्मीर बन गया है, एक पार्टी दो नियम।
इसी समुह में चर्चा के दौरान एक जनप्रतिनिधि के संदेश पर दी गई प्रतिक्रिया ने एक और प्रश्नवाचक लगा दिया। इस प्रतिक्रिया में सिर्फ इतना लिखा दो साल पहले। आखिर क्या हुआ था दो साल पहले और क्या हुआ आज की भाजपाइयों को ही अपनी पार्टी को चलाने वालों की नीयत पर सवाल उठाने पड गए।
दरअसल, कश्मीर वाला मुद्दा हाल ही में एफसीआई सदस्य के पद से हटाए गए गोविंद पुरोहित के संदर्भ में दिया गया। हाल ही में नगर मंडल ने एक नियुक्ति की। इसका नियुक्ति पत्र जब समुह में डाला तो इस पर बहस छिड गई। गोविंद पुरोहित के निष्कासन को जिला भाजपा ने इसलिए निरस्त करवाया कि भाजपा जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चौधरी का पुतला जलाने पर उन्हें पार्टी से निष्कासित किया गया था।
गोविंद पुरोहित के केन्द्र सरकार की एफसीआई की कमेटी का सदस्य बनने पर भाजपा में तूफान आ गया था। इन्हें हटाने के लिए संगठन का एक धडा एडी चोटी का जोर लगा दिया। आखिर गोविद पुरोहित को इस पद से हटा दिया गया। इसे लेकर एक समाज विशेष में जबरदस्त आक्रोश भी है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार जिस समुह में सोमवार को नियुक्ति पत्र डाला गया था उस समूह में एक पार्टी दो नियम वाली बात लिखने के पीछे भाजपा की कोर कमेटी का वह निर्णय है जिसमें यह कहा गया था कि किसी चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ बागी के रूप में खडे होने वाले कार्यकर्ता को पार्टी में तो रखा जाएगा, लेकिन उसे कोई पद नहीं दिया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार जिस व्यक्ति का नियुक्ति पत्र समुह में डाला गया था, कथित रूप से वह सिरोही नगर परिषद चुनाव में एक वार्ड में भाजपा के प्रत्याशी के सामने बागी के रूप में खडा हुआ था और उस वार्ड में कांग्रेस जीती थी। यही कारण था कि इसी नियुक्ति पत्र पर चर्चा और प्रतिक्रियाओं के दौरान जब एक जनप्रतिनिधि ने नव नियुक्त पदाधिकारी की पार्टी के समर्पण के लिए कसीदे पढे तो एक सदस्य को लिखना पडा दो साल पहले।
दरअसल, पार्टी के एक धडे का मानना है कि जब पार्टी के नियम सबके लिए हैं तो फिर इसे एक जाति, समुदाय या वर्ग विशेष के लोगों द्वारा दूसरी जाति, समुदाय या वर्ग के लोगों को निशाना बनाकर व्यक्तिगत हित साधने का मंच बन रहा है। हर पदाधिकारी अपने हितों को साधने के लिए इसका अपनी सहूलियत से व्याख्या कर रहे हैं।