गुवाहाटी। असम की क्षेत्रीय पार्टी असम गण परिषद की आमसभा में रविवार को मंत्री व पार्टी के अध्यक्ष अतुल बोरा को एक बार फिर से अध्यक्ष चुन लिया गया। अतुल बोरा निर्विरोध चुने गए। माना जा रहा था कि अध्यक्ष पद के लिए अन्य कई नेता अपनी दावेदारी पेश करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
रविवार को अगप मुख्यालय में आयोजित आमसभा में सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ ही सभी जिलों के अध्यक्ष, कार्यकारिणी सदस्यों के साथ ही साधारण सदस्यों ने एक स्वर से अतुल बोरा को अध्यक्ष चुना।
अध्यक्ष का चुनाव होने के साथ ही पार्टी के अंदर अध्यक्ष को लेकर मचा घमासान समाप्त हो गया। हालांकि अतुल बोरा को अध्यक्ष पद की कमान सौंपने से पहले पार्टी के संविधान में संशोधन करना जरूरी था।
आमसभा में उपस्थित सभी नेताओं ने संविधान संशोधन के लिए अपनी सहमति दे दी। उल्लेखनीय है कि अगप के संविधान के अनुसार एक व्यक्ति एक पद का नियम था। जिसे अब बदल दिया जाएगा।
पार्टी सूत्रों के अनुसार पिछले 15 वर्षों से पार्टी लगातार सत्ता से बाहर थी, जिसके चलते कार्यकर्ताओं का मनोबल पूरी तरह से टूट गया था। लेकिन अतुल बोरा ने भाजपा के साथ गठबंधन कर इस बार का विधानसभा चुनाव लड़ा, जिसमें पार्टी को आशातीत सफलता ही नहीं मिली बल्कि पार्टी सत्ता में भागीदार बनी।
अगप के कोटे से राज्य सरकार में दो मंत्री हैं। पार्टी इस उपलब्धि के पीछे अतुल बोरा का हाथ मान रही है, जिसके चलते एक बार फिर से सभी नेताओं ने अतुल बोरा पर भरोसा करते हुए उन्हें पार्टी की बागडोर सौंप दी।
ज्ञात हो कि अगप कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक बीते शनिवार को आरंभ हुई थी। पहले दिन कार्यकारिणी सदस्यों ने पार्टी के सांगठनिक स्थिति और राज्य के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा की। सुबह 8 बजे से पार्टी का आमसभा आयोजित की गई।
पार्टी सूत्रों के अनुसार आमसभा व कार्यकारिणी सभा में अगप ने निर्णय लिया है कि पार्टी राज्य में बड़े नदी बांधों और हिंदू बांग्लादेशियों को नागरिकता देने का विरोध करती रहेगी। इसके असम समझौते के तहत एनआरसी को अपडेट करने की भी मांग की गई है।