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Mahatma Jyotiba Phule 126th death anniversary
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अजमेर में महात्मा ज्योति बा फुले की पुण्यतिथि मनाई

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अजमेर में महात्मा ज्योति बा फुले की पुण्यतिथि मनाई

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अजमेर। माली सैनी समाज ने सोमवार को महात्मा ज्योति बा फुले की 126वीं पुण्यतिथि मनाई। अजमेर क्लब महात्मा ज्योति बा फुले सर्किल पर लगी फुले की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।

इस मौके पर अतिथियों ने फुले के जीवन चरित्र और उनके विचारों प्रकाश डाला। माली समाज को एकजुट रहने तथा बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए आहवान किया गया।

कौन थे महात्मा ज्योतिबा फुले

महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रेल 1827 को पुणे में हुआ था। उनकी माता का नाम चिमणाबाई तथा पिता का नाम गोविन्दराव था। उनका परिवार कई पीढ़ी पहले माली का काम करता था। वे सातारा से पुणे फूल लाकर फूलों के गजरे आदि बनाने का काम करते थे इसलिए उनकी पीढ़ी ‘फुले’ के नाम से जानी जाती थी।

ज्योतिबा बहुत बुद्धिमान थे। उन्होंने मराठी में अध्ययन किया। वे महान क्रांतिकारी, भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक एवं दार्शनिक थे। 1840 में ज्योतिबा का विवाह सावित्रीबाई से हुआ था।

महाराष्ट्र में धार्मिक सुधार आंदोलन जोरों पर था। जाति-प्रथा का विरोध करने और एकेश्‍वरवाद को अमल में लाने के लिए ‘प्रार्थना समाज’ की स्थापना की गई थी जिसके प्रमुख गोविंद रानाडे और आरजी भंडारकर थे।

उस समय महाराष्ट्र में जाति-प्रथा बड़े ही वीभत्स रूप में फैली हुई थी। स्त्रियों की शिक्षा को लेकर लोग उदासीन थे, ऐसे में ज्योतिबा फुले ने समाज को इन कुरीतियों से मुक्त करने के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाए।

उन्होंने महाराष्ट्र में सर्वप्रथम महिला शिक्षा तथा अछूतोद्धार का काम आरंभ किया था। उन्होंने पुणे में लड़कियों के लिए भारत की पहला विद्यालय खोला।

इन प्रमुख सुधार आंदोलनों के अतिरिक्त हर क्षेत्र में छोटे-छोटे आंदोलन जारी थे जिसने सामाजिक और बौद्धिक स्तर पर लोगों को परतंत्रता से मुक्त किया था। लोगों में नए विचार, नए चिंतन की शुरुआत हुई, जो आजादी की लड़ाई में उनके संबल बने।

इस महान समाजसेवी ने अछूतोद्धार के लिए सत्यशोधक समाज स्थापित किया था। उनका यह भाव देखकर 1888 में उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि दी गई थी। ज्योतिराव गोविंदराव फुले का निधन 28 नवंबर 1890 को पुणे में हुआ।