कानपुर। प्रधानमंत्री के बड़े नोटबंदी के फैसले की काट धनकुबेरों ने निकालना शुरू कर दिया। ब्लैक मनी को व्हाइट करने के लिए राजनीतिक पार्टियों को हथियार बना रहे हैं।
इसका खुलासा एक पार्टी के अध्यक्ष ने थाने में कोषाध्यक्ष के खिलाफ तहरीर देकर खुद की है। आठ नवम्बर मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देर शाम कालाधन पर अंकुश लगाने के लिए पांच सौ व एक हजार के नोटों को चलन से बाहर कर दिया।
इससे धनकुबेरों की नींद उड़ गई और ज्यों ही गुरूवार से करेंसी एक्सचेंज होने लगी तो दिहाड़ी मजदूरों को बैंकों की लाइन में लगा दिया। बैंकों में स्याही लगाने के बाद लगातार बदल रही नीतियों को देख अब धनकुबेरों ने राजनीतिक पार्टियों को हथियार बनाना शुरू कर दिया है।
लगभग एक सप्ताह से धनकुबेर बैंक मैनेजरों व राजनीतिक पार्टियों से सांठ-गांठ कर कालेधन को सफेद करने की जुगत में लगे रहे।
ब्लैक एंड व्हाइट का यह खेल उस समय सही साबित हुआ जब लखनऊ निवासी जनराज्य पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरूणेश सिंह ने नौबस्ता थाने में अपने ही पार्टी के कोषाध्यक्ष रविशंकर सिंह पर ऐसा आरोप लगा तहरीर दी।
सुनवाई न होने पर कोर्ट के माध्यम से मामला दर्ज कराया। हालांकि पार्टी अध्यक्ष ने यह खुलासा नहीं किया कि कितना रूपया जमा व निकाला गया लेकिन यह जरूर बताया कि करोड़ों का खेल किया गया है।
मामले के विवेचना अधिकारी नरेश कुमार सिंह के मुताबिक जनपा के फर्जी खाता खोलकर करोड़ों रुपये की हेराफेरी की बात सामने आई है। साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों पर कार्रवाई की जाएगी।
ऐसे हुआ खेल
अध्यक्ष सिंह ने बताया कि कोषाध्यक्ष रवि शंकर सिंह ने साथी अभिषेक कृष्ण, दुर्गेश दीक्षित, सुरेंद्र रावत और आशीष श्रीवास्तव संग मिलकर एसबीआई की नौबस्ता उस्मानपुर शाखा में पार्टी के नाम से समानांतर फर्जी खाता खोल लिया साथ ही दोनों खातों का संचालन शुरू कर दिया।
फर्जी तरीके से खुद को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बताते हुए पार्टी कार्यालय के किदवईनगर वाई ब्लाक कार्यालय का पता अपने आवास के रूप में दर्ज करा दिया लेकिन पहले वाले खाते में पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष पुनीत नाथ शुक्ल का मोबाइल नंबर बदलवाना भूल गए।
इसका ही नतीजा रहा कि पार्टी फंड में आने वाले चंदे की आय टैक्स फ्री होने के चलते दोनों खातों से काली कमाई को सफेद करना शुरू कर दिया। पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष को मोबाइल पर पार्टी खाते से रुपयों के निकासी और जमा होने की जानकारी हुई।
गड़बड़ी की आशंका पर उन्होंने वर्तमान पदाधिकारियों को सूचना दी। जांच में पार्टी का दूसरा खाता खुला होने और करोड़ों की धोखाधड़ी सामने आने पर थाने में तहरीर दी गई।