मुंबई। निर्देशक शेखर कपूर ने देश भर में फिल्म दिखाने से पहले सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश की आज आलोचना की।
70 साल के कपूर ने कहा कि शीर्ष न्यायालय को नेताओं के लिए भी संसद का प्रत्येक सत्र शुरू होने से पहले राष्ट्रगान गाना अनिवार्य कर देना चाहिए।
उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय भारतीय संसद को हर सत्र की शुरूआत से पहले राष्ट्रगान गाने का आदेश देगी। अकसर यह नाटक भी फिल्म जैसा लगता है।
बाद में कपूर ने एक दूसरे ट्वीट में कहा कि उच्चतम न्यायालय से भारतीय संसद को हर सत्र की शुरूआत से पहले राष्ट्रगान गाने का आदेश देने के लिए कहें।
फिल्मकार कुंदर ने भी कहा कि राष्ट्रगान रेस्तराओं सहित घूमने-फिरने, मनोरंजन की सभी जगहों पर अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह आधा ही आदेश है। राष्ट्रगान बजते समय खड़े ना होने की क्या सजा है? देखते ही गोली मार देना? पीट-पीटकर हत्या कर देना? जेल? फांसी?
कुंदर ने ट्विटर पर लिखा कि केवल थियेटर ही क्यों? राष्ट्रगान घूमने-फिरने, मनोरंजन की सभी जगहों पर अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए। यहां तक कि खाना शुरू करने से पहले रेस्तराओं में भी कर देना चाहिए।
वहीं दूसरी तरफ सांसद और अभिनेता परेश रावल तथा निर्देशक अशोक पंडित ने फैसले का स्वागत किया। रावल ने फैसले का विरोध कर रहे लोगों पर निशाना साधते हुए कहा कि जिनकी ‘बुद्धिमता कम है’ वह ‘हर चीज का विरोध करेंगे।’
उन्होंने कहा कि इसमें कुछ गलत नहीं है। यह एक अच्छी चीज है। जो इसका विरोध कर रहे हैं, मुझे लगता है कि उनकी बुद्धिमता कम है। वे हर चीज का विरोध करेंगे। यह एक अच्छा फैसला है। पंडित ने फैसले का स्वागत करते हुए ट्विटर पर लिखा कि यह एक स्वागत योग्य फैसला है।
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने आज देशभर के सिनेमाघरों को निर्देश दिया कि वे फिल्म दिखाने से पहले राष्ट्रगान जरूर बजाएं और इस दौरान लोगों को सम्मान स्वरूप खड़ा होना चाहिए। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि जब राष्ट्रगान बज रहा हो तो पर्दे पर राष्ट्र ध्वज भी दिखाया जाना चाहिए।