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supreme court want severe punishment for careless vehicle driving
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सुप्रीम कोर्ट ने लापरवाही से वाहन चलाने पर कठोर दण्ड की आवश्यकता जताई

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सुप्रीम कोर्ट ने लापरवाही से वाहन चलाने पर कठोर दण्ड की आवश्यकता जताई
demonetisation : Supreme Court refuses to stay proceeding to transfer all cases to one court
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Supreme Court

नई दिल्ली। तेज रफतार से गाडी चलाकर दुर्घटना कारित करके घरों के चिराग बुझाने वालों के प्रति सुप्रीम कोर्ट भी किसी तरह की दया दिखाने के मूड में नहीं है। देश की सर्वोच्च अदालत ने तेज रफ्तार और लापरवाही से वाहन चालने के अपराध में कठोर दंड की वकालत की है। कोर्ट स्पष्ट कहा कि लोग चाहे पसंद करें या न करें, लेकिन लोगों में कानून का भय होना चाहिए।
इस संबंध में टिप्पणी करते हुए जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस अमिताव राय की पीठ ने कहा कि मोटर वाहन कानून और भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ए (तेज रफ्तार और लापरवाही पूर्ण कृत्य के कारण मौत) के प्रावधानों के तहत अधिकतम दो साल की सजा वाहन चालकों में भय पैदा करने के लिए नाकाफी प्रतीत होती है। नशे की हालत, तेज रफ्तार से, लापरवाही और दुस्साहसिक तरीके से वाहन चलाए जाने के कारण जीवन गंवाने की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए पीठ ने कहा, चाहें लोग पसंद करें या नहीं, उनमें कानून के प्रति भय होना चाहिए।

पीठ ने कहा कि वाहन चालक सिर्फ खुद के लिए ही नहीं बल्कि, दूसरों के लिए भी खतरा बन जाते हैं। इसमें जिंदगी खोने पर मुआवजे की कोई भी राशि इसका स्थान नहीं ले सकती है।
अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस तरह की ड्राइविंग के मामले में कठोर दंड के मसले पर वह सक्षम प्राधिकारियों के साथ संवाद कर रहे हैं। पीठ ने अटॉर्नी जनरल को बुलाया था।
रोहतगी ने कहा कि ऐसे मामलों में दंड बढ़ाने के लिए कानून में संशोधन की आवश्यकता है। उन्होंने सक्षम प्राधिकारियों से जवाब प्राप्त करने के लिए कोर्ट से आठ सप्ताह का समय देने का आग्रह किया। पीठ इस मामले में अब 8 मार्च को सुनवाई करेगी।