जयपुर। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने शुक्रवार को झालावाड़ जिले की झालरापाटन तहसील के देवरी और बारां जिले के तुलसां गांव से मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के दूसरे चरण की शुरूआत की।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मरू प्रदेश राजस्थान अब देश और दुनिया में जलक्रांति के अग्रदूत के रूप में जाना जा रहा है। राजस्थान की जनता ने अपने दम पर इस मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान को सफल बनाकर पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवा दिया है।
मुझे पूरा विश्वास है कि अभियान के पूर्ण होने तक 295 ब्लॉक में से करीब 250 ब्लॉक अवश्य सुरक्षित जोन में होंगे। मुख्यमंत्री राजे ने कहा कि पहले चरण की ऐतिहासिक सफलता से जल स्वावलम्बन का सवेरा हो गया है। अब हम जलक्रांति के दूसरे अध्याय की शुरूआत कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राजस्थान में जल सहेजने की परम्परा कोे आगे बढ़ाते हुए शहर और गांवों के पुराने जल स्रोतों को संवारने के लिए लोग स्वतः आगे आएंगे तो इससे प्रदेश में जल संकट दूर होगा और प्रदेश को जल स्वावलम्बी बनाने के सरकार के प्रयास सफल होंगे।
हम खेतों को हरा-भरा बनाना चाहते हैं और हर गांव में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना चाहते है। इसके लिए हमारा प्रयास है कि बरसात की एक-एक बूंद राजस्थान की धरती में समाए और यहां के लोगों की प्यास बुझाने के काम आए।
जल स्वावलम्बन अभियान इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रदेश के 21 हजार गांवों में जब यह अभियान पूरा होगा तो राजस्थान की तस्वीर ही बदल जायेगी। राजे ने कहा कि अभियान के दूसरे चरण के तहत प्रदेश के 4200 गांवों और 66 शहरों तथा कस्बों में जल संरक्षण के करीब एक लाख 35 हजार काम होंगे।
ये काम तय समयावधि में पूरे हों, इसके लिए हर माह का रोडमैप तैयार किया गया है। अभियान के दूसरे चरण में पौधारोपण कार्यक्रम के तहत जल संरचनाओं के साथ एक करोड़ पौधे लगाये जाएंगे।
पहले चरण में इस साल 27 जनवरी से यह अभियान 3529 गांवों में चलाया गया था, इसकी सफलता के बाद अब अभियान के दूसरे चरण में शहरी क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले चरण की 94 हजार से अधिक जल संरचनाओं में से 95 प्रतिशत पानी से लबालब भर गई। इन जल संरचनाओं में वर्षाकाल के दौरान 11 हजार 170 मिलियन क्यूबिक फीट पानी का संग्रहण हुआ, जिससे करीब 41 लाख लोग और 45 लाख पशु लाभान्वित हुए।
साथ ही करीब 28 लाख पौधे लगाए गए, जिनमें से अधिकतर आज भी हरे भरे हैं। संभवतः यह पहला मौका था कि किसी सरकारी अभियान में 53 करोड़ रुपये की राशि जन सहयोग से प्राप्त हुई। पहला चरण पूरा होने के बाद कई इलाकों में 15 फीट तक भूजल स्तर बढ़ गया।
जिससे उन कुओं और बावड़ियों में भी पानी आ गया, जो बरसों से सूखे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि मरूधरा को जलभरा बनाने का यह अभियान इस कदर कामयाब हुआ कि ब्रिक्स सम्मेलन सहित पूरी दुनिया में इसकी गूंज सुनाई दी।
साथ ही दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया तथा नामीबिया जैसे देशों ने इसकी सराहना की है और इस माॅडल को अपनाने की ओर बढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और तेलंगाना जैसे राज्य हमसे प्रेरणा ले रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कई मंचों पर हमारे इस अभियान की मुक्त कंठ से प्रशंसा की है और आह्वान किया है कि दूसरे राज्य भी इस माॅडल को अपनाएं। मुख्यमंत्री ने बारां के तुलसां में कहा कि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण परवन लिफ्ट डेम की ऊचाई बढ़ाने तथा इसके जीर्णोद्धार का काम दिसम्बर 2017 तक पूरा कर लिया जाएगा।
इस कार्य में 3 करोड़ 70 लाख रूपए व्यय होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि परवन वृहद सिंचाई परियोजना को पर्यावरण स्वीकृति के लिए उन्होंने केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय से चर्चा की है। उम्मीद है कि शीघ्र ही स्वीकृति मिल जाएगी।