सिद्धार्थनगर। इस नम्बर से +91 8527725618 काल आपके भी मोबाइल पर आई होगी। नहीं आई तो आने वाली होगी। रिसीव करते ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आवाज सुनने को मिलेगी।
मेरे प्यारे देशवासियों। राष्ट्रनिर्माण में अपना योगदान दें। कैशलेस बनिए। अपने दूध वाले, अपने चाय वाले, सब्जी वाले को स्वाइप मशीन, पेटीएम, ई-वालेट, एटीएम कार्ड, डेबिट कार्ड, स्टेट बैंक बडी सहित बैंक के अन्य एप के जरिए भुगतान करिए। कैश का कम से कम प्रयोग करिए। इससे भ्रष्टाचार रुकेगा।
भ्रष्टाचार रोकने में अपना योगदान दें। प्रधानमंत्री निरंतर फोन, मीडिया, सोशलमीडिया के जरिये देशवासियों को कैशलेस के विषय में जोर दे रहे हैं। ताकि डिजिटल भारत की नींव तैयार हो सके, पर यहां बैंकर्स का वह साथ नहीं मिल पा रहा है, जो मिलना चाहिए।
जिले में स्टेट बैंक की कुल 41 शाखाएं हैं। खाताधारकों की संख्या साढ़े पांच लाख से अधिक है। इनमें से डेढ़ सौ खाताधारकों ने बैंकों से स्वाइप मशीन की डिमांड की है, पर पिछले दस दिनों से बैंक उन्हें टहला रहे हैं। स्वाइप मशीन नहीं दी जा रही। ऐसे में सरकार की कैशलेस इंडिया की मुहिम कैसे साकार हो सकेगी आसानी से जाना जा सकता है।
जिले में 51 शाखाएं पूर्वांचल बैंक की हैं। इसके अलावा पंजाब नेशनल बैंक, बैंक आफ बड़ौदा, बैंक आफ महाराष्ट्रा, बैंक आफ इंडिया, पंजाब एंड सिंध, एचडीएफसी, इलाहाबाद, एक्सिस, केनरा, सेंट्रल बैंक की मिलाकर 45 शाखाएं हैं।
स्टेट बैंक के अलावा भी अन्य बैंकों में दो सौ से अधिक स्वाइप मशीन की डिमांड गई है, पर खाताधारकों को मशीन नहीं मिल पा रही है। ऐसे में खाताधारक करे भी तो क्या? सरकार के आह्वान के बाद तेजी से लोग मोबाइल बैंकिंग की तरफ आकर्षित हुए हैं। बैंकों पर निरंतर लोग पहुंच भी रहे हैं, पर बैंकर्स उसे उन्हें समय ही नहीं दे रहे हैं।
बहाना कैश का है। हालांकि पखवाडे भर से बैंक खुद नकदी के संकट से जूझ रहे हैं। जिला मुख्यालय पर डेढ़ सौ अधिक व्यवसाइयों के पास स्वाइप मशीनें हैं, पर सामने 15 भी नहीं दिखतीं। जिले में सीएसपी की संख्या दो सौ के लगभग है, पर वह भी खाताधारकों को कोई सहयोग नहीं कर रहे हैं।
खाताधारकों ने ई बैंकिंग व बैंकिंग एप के प्रयोग में भी अभी तमाम समस्याएं आ रही हैं। जिला मुख्यालय के 95 फीसद व्यवसायी सीधे मना कर दे रहे हैं कि रुपये खाते में न दें, बल्कि उन्हें कैश में ही दें। जिला मुख्यालय पर पांच पेट्रोलपंप हैं। इनमें से कई के पास स्वाइप मशीन है। इसमें से एक को छोड़ दिया जाए तो किसी भी पंप पर स्वाइप मशीनों का प्रयोग नहीं हो रहा है।
बावजूद इसके इस पर न ही बैंक प्रशासन गंभीर है और न ही जिला प्रशासन। खाताधारकों को जागरूक करने का अभियान अभी बैंक कर्मियों को ही नहीं पता है, ग्राहकों का क्या होगा, आसानी से समझा जा सकता है।
सब गोलमाल, क्या करें खाताधारक जिले में कितने लोगों के पास पेटीएम की व्यवस्था है। कितने लोग ई-वालेट का प्रयोग करते हैं, सहित तमाम जानकारियां बैंक खाताधारकों से साझा नहीं करते। हर चीज के लिए बहाना सीमाई जिले का है कि गोपनीयता ओपेन नहीं की जा सकती।
सवाल उठना लाजिमी है, जब खाताधारकों को पता ही नहीं रहेगा कि किन-किन स्थानों पर स्वाइप मशीन की व्यवस्था है, खाताधारकों को लाभ कैसे मिलेगा, आसानी से समझा जा सकता है। जिले में 8 नवंबर के बाद से जिले में अब तक करीब 2.5 अरब रुपए वितरित हो चुके हैं। बावजूद इसके नकदी का संकट बरकरार है।
खाताधारकों दो-चार हजार से अधिक भुगतान नहीं मिला है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि रुपये कहीं और तो नहीं जा रहे। एटीएम बैंक बंद, भटकते रहे जरूरतमंद रविवार को जिला मुख्यालय के सभी एटीएम व बैंक बंद रहे। ऐसे में जरूरतमंदों के समक्ष भारी कठिनाई रही।
वह एटीएम कार्ड लेकर इधर-उधर भटकते रहे, पर कोई काम नहीं हो सका। यहां तक सीएसपी भी बंद रहे। जिला मुख्यालय के बंद एटीएमों को देखकर खाताधारक लौट गए। लीड बैंक अफसर कल्पनाथ ने बताया कि अभी कैश की समस्या सलटने वाली नहीं है। लोगों को ई-पेमेंट, ई-बैंकिंग आदि पर जोर देना चाहिए।
स्टेट बैंक में 150 स्वाइप मशीनों की डिमांड है, पर संबंधित कंपनी स्वाइप मशीन ही नहीं दे पा रही है तो क्या किया जा जाए, पर विकल्प और भी है। जिले में स्वाइप मशीनों की संख्या 500 से अधिक है। डेढ़ सौ अधिक सिर्फ जिला मुख्यालय पर ही हैं। ऐसे में धारकों को भी ग्राहकों का सहयोग करना चाहिए।