नई दिल्ली। निशक्त व्यक्ति के लिए आरक्षण 3 से बढ़ाकर 4% करने तथा उनके साथ भेदभाव करने वाले को दो वर्ष तक की जेल और पांच लाख रुपये तक जुर्माने के प्रावधान वाला निशक्त व्यक्ति अधिकार विधेयक-2014 बुधवार को राज्यसभा में पारित हो गया।
इस विद्येयक का पूरे सदन ने दलीय राजनीति से ऊपर उठकर समर्थन किया और निशक्त व्यक्तियों को और अधिकार देने तथा उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने में सरकारी मदद देने की गुहार की।
विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा के दौरान सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि विधेयक में संशोधन कर निशक्त व्यक्तियों के लिए आरक्षण 3% से बढ़ाकर 4% करने का प्रावधान किया गया है।
उनके लिए ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि उन्हें मिलने वाला प्रमाणपत्र दूसरे राज्यों में भी अर्थात पूरे देश में मान्य हो। अभी तक राज्यवार ही यह प्रमाणपत्र चलता था। उन्होंने बताया कि 12672 निशक्त व्यक्तियों को उनके लिए रिक्त स्थानों पर नियुक्ति की गई है और अन्य रिक्त पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है।
गहलोत ने भरोसा दिलाया कि किसी निशक्त व्यक्ति के साथ भेदभाव करने पर दो वर्ष तक की जेल और पांच लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान विधेयक में किया गया है।
इससे पूर्व सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, बसपा की मायावती व सतीश मिश्रा, सपा के नरेश अग्रवाल, मार्क्सवादी सीताराम येचुरी आदि ने विद्येयक को बिना चर्चा पारित कराने की मांग की। कांग्रेस के डॉ. करण सिंह ने कहा कि निशक्तों के अधिकार कागज पर ही नहीं होने चाहिए।
सपा के नरेश अग्रवाल ने निशक्तों को प्रमाणपत्र बनवाने में आने वाली दिक्कतों का जिक्र किया। तृणमूल कांग्रेस के नदीम उल हक ने निशक्तों के लिए रिक्त पद अविलंब भरने की मांग की। माकपा के सीताराम येचुरी ने उनके लिए आरक्षण 5% करने की मांग की।