लखनऊ। जीत के अश्वमेधी रथ पर सवार भारतीय टीम ने बेल्जियम को हराकर पंद्रह साल बाद जूनियर हॉकी विश्व कप का खिताब अपने नाम कर लिया।
भारतीय खिलाड़ी अपनी आक्रामकता और जुझारूपन को बरकरार रखते हुए देशवासियों को अर्से बाद हॉकी के मैदान पर खिताब के रूप में तोहफा दिया। खास बात यह रही कि इस विश्व कप में भारतीय टीम एक भी मैच नहीं हारी।
इससे पहले 2001 में आस्ट्रेलिया के होबर्ट में भारतीय टीम ने अर्जेंटीना को 6–1 से हराकर एकमात्र जूनियर विश्व कप जीता था। वहीं 1997 में इंग्लैंड में हुए टूर्नामेंट के फाइनल में आस्ट्रेलिया ने भारत को हराया था।
खिताबी मुकाबले में भारतीय टीम ने बेल्जियम को 2-1 से मात दी। मैच के शुरूआत से ही भारतीय टीम ने आक्रामक रवैया अपनाया। मैच के 8 वें मिनट में ही भारतीय टीम के फॉरवर्ड खिलाड़ी गुरजंत सिंह ने गोल कर भारतीय टीम को 1-0 की बढ़त दिला दी।
इसके बाद मैच के 22वें मिनट में सिमरनजीत सिंह ने दूसरा गोल कर बेल्जियम पर 2-0 की बढ़त बना ली है। इस विश्व कप में यह उनका चौथा गोल था। पहले हॉफ के खत्म होने के बाद भारत 2-0 से बढ़त लेने में सफल रहा।
पहले हाफ के आखिरी समय में बेल्जियम ने जबर्दस्त तरीके से गोल करने की कोशिश की। इससे पहले भारत को दो पेनाल्टी कॉर्नर मिले थे लेकिन टीम ने दोनों पेनाल्टी कार्नर गंवा दिए थे।
मैच के आखिरी मिनट में बेल्जियम के फैब्रिक बोकरिजक वान ने गोल कर टीम का खाता खोला और इसी स्कोर पर मैच समाप्त हुआ। भारत ने यह मैच 2-1 से जीत लिया।
जूनियर हॉकी विश्व कप का खिताबी मुकाबला देखने प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश अखिलेश यादव और राज्यपाल रामनाईक भी पहुंचे। मैच शुरू होने से पहले उन्होंने खिलाड़ियों से मुलाकात की।