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10 percent discount on railway trains empty seats
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रेलवे ने फ्लेक्सी किराया प्रणाली में किया बदलाव, आज से ट्रेनों की खाली सीटों पर 10 प्रतिशत छूट

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रेलवे ने फ्लेक्सी किराया प्रणाली में किया बदलाव, आज से ट्रेनों की खाली सीटों पर 10 प्रतिशत छूट
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नई दिल्ली। रेलवे ने आज फ्लेक्सी किराया प्रणाली में बदलाव किया हैं। अब राजधानी, शताब्दी और दुरंतो में चार्ट बनने के बाद खाली सीटों में अंतिम कीमत से 10 प्रतिशत की छूट मिलेगी। यानि करेंट बुकिंग में टिकट को सस्ता किया जाएगा।

अब ट्रेन में चार्ट बनकर तैयार होने के बाद भी सीट खाली बचेगी तो वह आखिरी किराये से रेलवे 10 फीसदी कम में टिकटों को बेचेगी। सभी फैसले 20 दिसम्बर से लागू होंगे और अगले 6 महीने तक चलेंगे। फ्लेक्सी फेयर के तहत रेलवे को यात्री नहीं मिल रहे हैं, इसलिए रेलवे ने फ्लेक्सी किराया सिस्टम में बदलाव किया। राजधानी, शताब्दी और दुरंतो ट्रेनों में 30 फीसदी तत्काल कोटा होता था, अब घटाकर इसे 10 प्रतिशत कर दिया गया है। क्योंकि तत्काल में भी फ्लेक्सी फेयर कर दिया गया था और रेलवे तत्काल कोटे की सीट भी नहीं भर पा रही थी।

फ्लेक्सी फेयर लागू करने के बाद से कई ट्रेनों में सीट अब भी खाली जा रही थी इसीलिए रेलवे ने ये फैसला किया है। इसके अलावा रेलवे ने हर क्लास में आरएसी सीटों की संख्या बढ़ा दी है। 16 जनवरी 2017 से आरएसी सीटें बढ़ जाएंगी। इसके चलते अब ज्यादा लोग वैध टिकट के साथ सफर कर सकेंगे। साथ ही दो और शताब्दी ट्रेनों (दिल्ली-अजमेर शताब्दी और चेन्नई-मैसूर शताब्दी.) में किराये भी कम किये गए हैं।

रेलवे मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, नई दिल्ली-अजमेर शताब्दी एक्सप्रेस और चेन्नई सेंट्रल-मैसूर शताब्दी एक्सप्रेस के एसी चेयर कार के कुछ वर्गों में फ्लेक्सी किराया हटाने और किराये में छूट देने का निर्णय किया गया है। फ्लेक्सी फेयर के तहत किराया बढ़ाने का फैसला रेलवे ने सितंबर में लिया था। इसके तहत राजधानी शताब्दी और दुरंतो जैसी प्रीमियम ट्रेनों के किराए बढ़ाये गए थे।

क्या है फलेक्सी फेयर?

फलेक्सी फेयर का मतलब था, पहले 10 प्रतिशत सीट नार्मल किराये पर बेचना, फिर अगले 10 प्रतिशत सीट नार्मल से 10 प्रतिशत ज्यादा किराये पर, उसके अगली 10 प्रतिशत सीट नार्मल से 20 प्रतिशत ज्यादा किराये पर, और अगली 10 प्रतिशत सीट नार्मल से 30 प्रतिशत ज्यादा किराये पर। ऐसे 50 प्रतिशत ज्यादा किराये तक बेचने का प्रावधान था। लेकिन रेलवे को तीन महीने में मात्र 130 करोड़ का ही लाभ हुआ। और सीट के दाम इतने बढ़ गए की खरीदार नहीं रहे और बर्थ खाली जाने लगी. इसलिए रेलवे ने ये फैसला लिया। सभी फैसले 20 दिसम्बर से लागू होंगे और अगले 6 महीने तक चलेंगे।