जयपुर। केन्द्र सरकार का भूमि अधिग्रहण के लिए लाया जाने वाला अध्यादेश कानून बनने से पहले ही विपक्ष के निशाने पर आ गया है। इस बिल में किए गए प्रावधानों को कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दल किसान विरोधी बता रहे हैं। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस सचिन पायलट ने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार द्वारा पारित भूमि अधिग्रहण कानून में भूमि अधिग्रहण के लिए किसानों के हितों में किए गए प्रावधानों को अध्यादेश के माध्यम से संशोधित करके केन्द्र सरकार ने किसान विरोधी बना दिया है।
पायलट ने कहा कि जमीन अधिग्रहण को आसान बनाने और लम्बित औद्योगिक प्रोजेक्टस् को शुरू करवाने के नाम पर जो प्रावधान किये गए हैं वह गरीबों व किसानों को जमीनों से बेदखल करने की सोची समझी साजिश है। उन्होंने आरोप लगाया कि अध्यादेश के माध्यम से भूमि अधिग्रहण के लिए एक नई धारा (10 ए) जोड़ी गई है, जो विशेष प्रोजेक्टस् के लिए भूमि अधिग्रहित करने के लिए भूमि के मालिकों से अनुमति की बाध्यता को समाप्त करती है, जो यूपीए सरकार द्वारा बनाए गये भूमि अधिग्रहण कानून की मूल भावना के खिलाफ और पूरी तरह से दमनकारी है।
उन्होंने कहा कि उक्त संशोधन के माध्यम से उच्चतम न्यायालय की ओर से मुआवजे के बारे में दिये गए दिशा-निर्देशों की भी पूरी तरह से अवेहलना होगी, जिसके अनुसार मुआवजे की राशि कोर्ट में जमा करवाने का प्रावधान किया गया था, अब इसके विपरीत किसी भी खाते में मुआवजे को जमा करवाया जाना पर्याप्त होने का प्रावधान कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि अध्यादेश संशोधन के माध्यम से प्रावधान किया गया है कि सरकारी अधिकारी कानून की अनुपालना बिना उत्तरदायित्व के कर सकेंगे, इसका तात्पर्य है कि गलत तरीके से जमीन अधिग्रहण करने में दोषी पाये गए सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करना भी आसान नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि ऐसा अध्यादेश लाना भी संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है क्योंकि अध्यादेश अति-आवश्यक आपातकालीन स्थितियों में ही लाया जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के इस कदम ने साबित कर दिया है कि यह सरकार पूंजीवादी विचारधारा से प्रेरित व पोषित है।