नई दिल्ली। खुदरा निवेशकों की बढ़ती रुचि तथा शेयरों में आक्रामक लिवाली से म्यूचुअल फंड उद्योग 2016 में काफी तेज रफ्तार से बढ़ा। साल के दौरान म्यूचुअल फंड उद्योग की परिसंपत्तियों में लगभग चार लाख करोड़ रुपये या 28 प्रतिशत का इजाफा हुआ। उद्योग की निगाह अगले साल 20 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा छूने पर है।
उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि नवंबर में म्यूचुअल फंड उद्योग के प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां 16.5 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गईं। साल के अंत तक इसके 17.3 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाने की उम्मीद उद्योग को है। कोष घराने नए साल में उद्योग के प्रदर्शन को लेकर आशान्वित हैं। इसके अलावा उन्हें उम्मीद है कि नए निवेशकों के बूते इस क्षेत्र की वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा।
इसके अलावा ऊंचे मूल्य के नोटों को बंद किए जाने का भी क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है। उद्योग का मानना है कि लोग अपनी नकद परिसंपत्ति को वित्तीय निवेश में बदलेंगे।
क्वॉन्टम म्यूचुअल फंड के मुख्य कार्यकारी जिम्मी पटेल ने कहा कि अगले साल म्यूचुअल फंड उद्योग के प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां 20 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर जाएगी। उद्योग के अनुमान 2016 में कुल सक्रिय 43 म्यूचुअल फंड कंपनियों का एयूएम 28 प्रतिशत बढ़ा है।
यह लगातार चौथा साल है जबकि एमएफ उद्योग की परिसंपत्तियां बढ़ी हैं। इससे पिछले दो वर्ष इसमें गिरावट आई थी।
एमएफ के निवेश पोर्टल फंड्सइंडिया डॉट कॉम के मुख्य परिचालन अधिकारी श्रीकांत मीनाक्षी ने कहा कि कुल मिलाकर शेयर बाजार 2016 में इससे पिछले साल की तुलना में अधिक उतार-चढ़ाव वाला रहा। एयूएम में बढ़ोतरी मुख्य रूप से निवेशकों के निवेश में बने रहने और नए निवेशकों के आने से हुई।
वर्ष 2015 के अंत तक एमएफ उद्योग का कुल एयूएम 13.41 लाख करोड़ रुपये था, जो 2014 के अंत तक 11.06 लाख करोड़ रुपये था। 2013 में यह 8.26 लाख करोड़ रुपये और 2012 के अंत तक 8.08 लाख करोड़ रुपये था। 2011 में यह 6.11 लाख करोड़ रुपये, 2010 में 6.26 लाख करोड़ रुपये तथा 2009 में 6.65 लाख करोड़ रुपये था।
हालांकि, 2016 में कुछ कंपनियां विलय एवं अधिग्रहण के जरिये म्यूचुअल फंड बाजार से बाहर निकलीं। भारतीय म्यूचुअल फंड क्षेत्र से बाहर निकलने वाली कंपनियों में जेपी मॉर्गन एमएफ तथा पीयरलेस ग्रुप शामिल हैं।