नई दिल्ली। कर्मचारी संघ के नेताओं ने सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट के लागू होने के बाद सरकार द्वारा उनकी मांगों के प्रति अपनाए गए उदासीन रवैये के खिलाफ 15 फरवरी को एक दिन की हड़ताल का ऐलान किया है।
संघ के महासचिव एम. कृष्णन के अनुसार 118 कर्मचारी संघ उनके साथ हैं। उन्होंने कहा कि रेलवे और सैन्य बलों के संघों के अलावा बाकी सभी संघ इस आह्वान में उनके साथ हैं।
कृष्णन ने आरोप लगाया कि जब हमने 11 जुलाई को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी, तब वित्तमंत्री अरुण जेटली और राजनाथ सिंह ने कर्मचारी नेताओं से बात की।
जेटली ने उच्चस्तरीय समिति बनाने की बात कही थी। लेकिन, जब इस प्रस्ताव पर लिखित आश्वासन की बात कही गई, तब उन्होंने कहा कि वह मोदी से बात करके कुछ ठोस कह पाएंगे। लेकिन, तब गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने तुरंत बाहर जाकर मोदी से फोन पर बात की थी और फिर अंदर आकर कहा कि मोदी इस बात के लिए राजी हैं।
उन्होंने कहा कि इस समिति को चार महीने में अपनी रिपोर्ट देनी थी, लेकिन लगभग छह माह बीतने के बाद भी इस दिशा में कुछ भी नहीं हुआ। इसके साथ ही अलग-अलग मुद्दों पर बनाई गई समितियों का कार्यकाल दो महीने के लिए बढ़ा दिया गया है।
वहीं, रेलवे कर्मचारी संघ के नेता शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि कुछ कर्मचारी संघ हड़ताल पर जा रहे हैं, लेकिन उनका संघ जनवरी में इस बारे में बैठक करेगा और निर्णय लेगा।
कर्मचारी नेताओं का कहना है कि यह हड़ताल 33 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 34 लाख पेंशनरों के आत्मसम्मान के लिए है।
इतना ही नहीं, इन नेताओं का दावा है कि हड़ताल में 15 लाख केंद्रीय कर्मचारियों के अलावा केंद्र के अधीन काम करने वाले स्वायत्त निकायों के कर्मचारी भी हिस्सा लेंगे जहाँ सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें अभी तक लागू नहीं की गई हैं।