लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सपा के एकमात्र सुल्तान बन गए हैं। जनेश्वर मिश्र पार्क में रविवार को हुई सपा की राष्ट्रीय प्रतिनिधि सभा में उन्हें सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया गया है।
वहीं उनके पिता मुलायमसिंह यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाकर संरक्षक घोषित कर दिया गया है। चाचा शिवपालसिंह को उत्तर प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाते हुए अमरसिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि गुरुवार को अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव की ओर से मुलायमसिंह यादव व शिवपालसिंह यादव जारी सूची के अलावा सपा प्रत्याशियों की एक और सूची जारी करने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायमसिंह यादव ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव को पार्टी से निष्कासित कर दिया था।
नाटकीय घटनाक्रम ऐसे ही चलता रहा और अखिलेश यादव ने सपा के 229 में से 200 विधायकों का समर्थन उनके साथ होने का दावा किया तो मुलायमसिंह यादव को भी बेटे की ताकत के आगे खुदका पद और वर्चस्व बौना लगने लगा। आजम खान की मौजूदगी में अखिलेश यादव ने शनिवार को मुलायमसिंह यादव के घर जाकर चर्चा की। इसके बाद शिवपालसिंह यादव ने अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव का निष्कासन वापस लेने की घोषणा की।
इससे पहले ही 30 दिसम्बर को राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव रविवार को राष्ट्रीय अधिवेशन की घोषणा कर चुके थे। सुलह से पहले यह संभावना जताई जा रही थी कि इस अधिवेशन में शिवपालसिंह यादव को प्रदेशाध्यक्ष के पद से हटाया जाएगा और अमरसिंह को पार्टी से निकाला जाएगा। सुलह के बाद यह कयास लगाया कि यह अधिवेशन नहीं होगा, लेकिन शनिवार दोपहर बाद रामगोपला यादव ने ही घोषणा की कि जनेश्वर मिश्र पार्क में 11 बजे राष्ट्रीय प्रतिनिधियों का अधिवेशन होगा।
इस अधिवेशन में सुलह से पूर्व के निर्णय नहीं लिए जाने का कयास भी लगाया जा रहा था, लेकिन रविवार को जब सभा हुई और उसमें शिवपालसिंह व अमरसिंह के साथ जिस तरह मुलायमसिंह यादव को भी एक तरह से मार्गदर्शक मंडल में डला दिया गया, उससे प्रतीत होता है कि टीपू पार्टी से अपनी पकड को छोडना नहीं चाहते।
सभी विधायकों और पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की सहमति के स्वर्णिम अवसर को हाथ से जाने नहीं देना चाहते थे। ऐसे में उन्होंने अधिवेशन बुलवाकर शिवपालसिंह यादव को उत्तर प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया और अमरसिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया। मुलायमसिंह यादव को संरक्षक बनाते हुए उन्होंने कहा कि वह उनके पिता ही रहेंगे। कोई भी उनके बीच दरार नहीं डाल सकता। पार्टी को कुछ लोग नुकसान पहुंचाना चाहते थे। ऐसे में यह निर्णय करना जरूरी था।