इंदौर। जनसुनवाई व अन्य आवेदनों के बाद कलेक्टर ने जिले में अब सूचना के अधिकार के आवेदनों में भी आधार को अनिवार्य कर दिया है।
जिले में जानकारी मांगने वाले लोगों का डाटा तैयार कर उनके द्वारा ली जाने वाली जानकारी और उस पर किए जाने वाले खर्च का ब्योरा भी जुटाया जा सकता है।
शासन ने जनता को किसी भी मामले की जानकारी आम करने के लिए सूचना के अधिकार का हक देकर हर काम को आसान व आम करने का प्रयास किया था।
कलेक्टर ने केंद्र सरकार के हर योजना को आधार से जोड़ने के निर्देश के बाद अपने स्तर पर ही निर्णय लेकर जिले को हर काम में अव्वल बनाने के लिए जनसुनवाई, शिकायत व अनय आवेदनों के लिए आधार को अनिवार्य कर दिया।
अब कलेक्टर पी. नरहरि ने आदेश दिए हैं कि यदि कोई व्यक्ति सूचना के अधिकार के लिए आवनेदन करता है तो उससे पहले आधार लिया जाए, उसके बाद ही आवेदन जमा करें।
कोई व्यक्ति इस आदेश को लेकर न्यायालय में न जाए, इसके लिए आदेश में अनिवार्य की जगह स्वेच्छा शब्द का प्रयोग किया है। उनके आदेश के बाद जिले में स्वेच्छा के बजाय कर्मचारी बगैर आधार के आवेदन लेने से इनकार कर रहे हैं।
उनका कहना है कि साहब के मौखिक निर्देश हैं कि जो आधार लेकर न आए उससे आवेदन न लिया जाए और उसे इस संबंध में लिखित में भी न दें।
कलेक्टर के निर्देश से लगता है कि वे अब आधार को शत प्रतिशत योजना व आवेदन में जोड़कर जिले को नया पुरस्कार दिलाने की तैयारी कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि भोपाल में आधार की अनिवार्यता को लेकर पहले ही विरोध सामने आ चुका है, उसके बाद कलेक्टर ने इसे स्वैच्छिक कहकर आधार न लाने पर संबंधित का आधार पंजीयन कराने के लिए कहा है, आधार पंजीयन के बाद ही आवेदन जमा करने को कहा है।
सूत्रों का कहना है कि कलेक्टर ने सूचना के अधिकार में आधार की अनिवार्यता कर डाटा तैयार करने की तैयारी कर ली है कि कौन सा व्यक्ति कितनी जानकारी मांगता है और उस पर कितना खर्च साल में करता आ रहा है।
यह जानकारी सामने आने के बाद सारी जानकारी शासन व आयकर विभाग तक पहुंचाई जा सकती है, जिसके आधार पर सर्वाधिक राशि जमा कराने वाले पर आयकर विभाग की नजर रहे और उसकी आय के स्त्रोत का पता लगाया जा सके।
बीपीएल कार्डधरी व्यक्ति यदि आवेदन करता है तो उसे दी जाने वाली नि:शुल्क जानकारी का डाटा भी अलग से तैयार होगा।