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sp deadlock continues as fresh reconciliation akhilesh camp submits to EC affidavits signed by MPs and MLAs mulayam camp is likely to submit on monday
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साइकिल के लिए मुलायम दिल्ली रवाना, 3 बिन्दुओं पर जांच कर आयोग सुनाएगा फैसला

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साइकिल के लिए मुलायम दिल्ली रवाना, 3 बिन्दुओं पर जांच कर आयोग सुनाएगा फैसला

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी में हुई तख्तापलट की लड़ाई के बाद दोनों पक्षों में सुलह-समझौता नहीं होने पर आखिरकार रविवार को मुलायम सिंह यादव लखनऊ से नई दिल्ली रवाना हो गए। मुलायम पहले अपने आवास से पार्टी के प्रदेश कार्यालय पहुंचे और फिर दिल्ली के लिए रवाना हुए। उनके साथ शिवपाल यादव भी थे।

दरअसल अखिलेश यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से मुलायम काफी नाराज चल रहे हैं। दोनों पक्षों ने चुनाव आयोग में साइकिल चुनाव चिन्ह के लिए दावा किया है। आयोग ने दोनों पक्षों को सारे जरूरी दस्तावेज जमा कराने के लिए नौ जनवरी तक की समय सीमा तय की है।

अखिलेश गुट की ओर से प्रो. रामगोपाल यादव शनिवार को सारे दस्तावेज इलेक्शन कमीशन में जमा कर चुके हैं। अब मुलायम के रविवार को दिल्ली पहुंचने के बाद माना जा रहा है कि वह अपने समर्थक कानूनविदों से वहां राय मशविरा करने के बाद चुनाव आयोग में अपना पक्ष रखेंगे। जिससे पार्टी और साइकिल चुनाव चिन्ह पर उनका कब्जा बरकरार रहे।

वहीं, जानकारों के मुताबिक सपा में चल रहे विवाद के समाधान के लिए चुनाव आयोग 1969 के केस का सहारा ले सकता है। ये मामला तब कहा है, जब कांग्रेस दो गुटों में बंट गई। इस दौरान आयोग ने तीन बिन्दुओं के आधार पर जांच करके मामले का निपटारा किया था। इस केस को अब तक का सबसे प्रमाणित और आदर्श केस माना जाता है।

इस केस में आयोग ने कांग्रेस के दोनों समूहों के दावे की जांच तीन टेस्ट के आधार पर की थी। खास बात है कि इस केस को एक साल और 20 दिन का समय लगा था। जिसके बाद सही और सटीक फैसला सुनाया गया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे स्वीकार किया था। इसके तहत आयोग ने पार्टी के संविधान को आधार बनाया था।

चुनाव आयोग ने इसकी जांच की थी कि दोनों पक्षों में से किस पक्ष ने पार्टी के संविधान का पालन नहीं किया था। सपा के मामले में मुलायम गुट जहां इसका पालन नहीं होने का दावा कर रहा है, वहीं अखिलेश गुट की दलील है कि पार्टी के संविधान का पूरी तरह से पालन किया गया है।

इसके साथ ही चुनाव आयोग यह भी देख सकता है कि किस समूह ने पार्टी के लक्ष्य और उद्देश्य का पालन नहीं किया। इन सभी बिन्दुओं के बाद भी कोई नतीजा नहीं मिलने पर चुनाव आयोग बहुमत के जरिए अपना फैसला सुना सकता है। ऐसे में बाजी अखिलेश गुट के हाथ में जाना तय माना जा रहा है।