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sahara diary case : SC dismisses petition of investigation against pm modi
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सहारा-बिड़ला डायरी केस में पीएम मोदी के खिलाफ जांच की याचिका खारिज

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सहारा-बिड़ला डायरी केस में पीएम मोदी के खिलाफ जांच की याचिका खारिज
sahara diary case : SC dismisses petition of investigation against pm modi
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा और बिरला के यहां छापों के दौरान मिले दस्तावेजों की जांच के लिए एसआईटी गठित करने की प्रशांत भूषण की याचिका खारिज कर दी है।

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में चार घंटे तक इस मामले पर सुनवाई हुई जिसमें प्रशांत भूषण औऱ अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी के बीच जोरदार बहस हुई। कोर्ट ने कहा कि कंप्यूटर की एंट्री और डायरी में किसी का नाम दर्ज होना किसी व्यक्ति के खिलाफ जांच का सबूत नहीं हो सकता।

भूषण ने करीब दो घंटे तक कोर्ट को इस बात के लिए आश्वस्त करने की कोशिश की कि इस मामले में एफआईआर दर्ज होना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि टू-जी घोटाला और कोयला घोटाला के मामले में सीएजी की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई हुई और इस मामले में पैसे देने के सबूत हैं।

इसका विरोध करते हुए अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि किसी छापे में कोई कागज़ मिलना उन लोगों के खिलाफ एफआईआर का आधार नहीं बन सकता जिनके नाम उस कागज़ में हैं।

उन्होंने कहा कि कोई ऐसा विश्वसनीय साक्ष्य नहीं है जिसके आधार पर कहा जाए कि मोदी जी को कारपोरेट घरानों ने पैसे दिए। उन्होंने कहा कि मैं भी लिख सकता हूं, मैंने राष्ट्रपति को पैसे दिए, सिर्फ मेरे लिखने पर क्या एफआईआर दर्ज हो सकती है?

उन्होंने कहा कि अगर इस तरह कार्रवाई को आधार बनाया गया तो देश में कोई व्यक्ति सुरक्षित नहीं बचेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह सेटलमेंट कमीशन के आदेश पर नहीं बल्कि डायरी पर सवाल उठा रहा है।

बता दें कि इस मामले की सुनवाई दूसरी बेंच कर रही थी। पहले जो बेंच सुनवाई कर रही थी, उसकी अध्यक्षता चीफ जस्टिस खेहर कर रहे थे। लेकिन आज जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा और जस्टिस अमिताभ राय की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी।

पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण और जस्टिस जेएस खेहर के बीच तीखी बहस हुई थी। प्रशांत भूषण ने कहा था कि आपको इस मामले की सुनवाई से हट जाना चाहिए क्योंकि आपके चीफ जस्टिस के पद पर नियुक्ति की फाइल केंद्र सरकार के पास लंबित है और आपके सुनवाई करने से गलत संदेश जाएगा।

इस पर जस्टिस खेहर नाराज हो गए और उन्होंने कहा कि क्या आपको लगता है कि सुप्रीम कोर्ट किसी के सामने झुक जाएगा। बेंच के दूसरे जज जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि यह कोर्ट की अवमानना है।

जस्टिस खेहर ने कहा था कि आपको पहले डेट में ही आपत्ति उठानी चाहिए थी। बता दें कि याचिका में कहा गया है कि इनकम टैक्स के छापे में सहारा के ऑफिस से एक डायरी मिली थी, जिसमें कथ‍ति रूप से यह लिखा है कि 2003 में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री को 25 करोड़ रुपए की घूस दी गई। उस समय नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे।

इनके अलावा तीन और मुख्यमंत्रियों को भी घूस देने की बात कही गई थी। भूषण के मुताबिक इनकम टैक्स ने अपनी रिपोर्ट में ये बातें कहीं हैं। याचिका में उन्होंने इस मामले की एसआईटी जांच की मांग की थी।