सबगुरु न्यूज-सिरोही। गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया के आगमन पर भाजपा जनप्रतिनिधि और पदाधिकारी मीटिंग के अंदर पुलिस अधिकारियों पर दबाव बनाने की कोशिश करते दिखे तो बाहर भाजपा जिला कार्यालय के लिए भवन आवंटन के लिए जिला कलक्टर पर दबाव दिलवाने की कोशिश में रहे।
सूत्रों के अनुसार गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया के सिरोही आगमन पर भाजपा के कुछ जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों ने भाजपा जिला कार्यालय के लिए जिला कलक्टर की ओर से भूमि आवंटित नहीं किए जाने को लेकर चर्चा की। इस पर गृहमंत्री ने जिला कलक्टर अभिमन्यु कुमार से चर्चा करते हुए इस संबंध में जानकारी ली।
सूत्रों के अनुसार उन्होंने जिला कलक्टर को इस बारे में कहा कि लगभग सभी जिलों में भाजपा के कार्यालयों के लिए भूमि आवंटित की जा रही है। यहां भी जो कार्यवाही है उसे आगे बढाइये। सूत्रों के अनुसार इस पर जिला कलक्टर अभिमन्यु कुमार ने उनसे अनुरोध किया कि वे अभी आएं हैं और इसकी पत्रावली का अवलोकन करके जो भी उचित होगा करेंगे।
उल्लेखनीय है कि भाजपा ने सिरोही के पीडब्ल्यूडी कार्यालय की जमीन को ही अपने कार्यालय के लिए मांग लिया है। कांग्रेस के पूर्व विधायक संयम लोढा ने इस जमीन को बेशकीमती बताते हुए बिना नीलामी के डीएलसी दर पर नगर परिषद को हस्तांतरित करके भाजपा कार्यालय के लिए आवंटित किए जाने पर प्रशासनिक अधिकारियों को न्यायालय में घसीटने की चुनौति दी है।
इसके बाद इस कथित बेशकीमती जमीन को सत्ता के दुरुपयोग करते हुए अपने कार्यालय के लिए औने-पौने दामों में आवंटित करवाने की भाजपा की योजना खटाई में पड गई है।
-अफसर वहां कार यहां
सिरोही कलक्टरी में यह नजारा कम ही देखने को मिलता है जो शुक्रवार को देखने को मिला। गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया के आगमन पर जिला कलक्टर अभिमन्यु कुमार वहां पर पहुंचे, लेकिन उन्होंने इस दूरी को अपनी कार से नापने की बजाय पैदल ही नापा।
लोग उनकी गाडी देखकर कार्यालय में पहुंचे और जब पता चला कि जिला कलक्टर गृहमंत्री की मीटिंग स्थल जिला परिषद कार्यालय में पैदल ही पहुंचे हैं तो उनका आश्चर्य भी ठिकाने पर नहीं रहा। सिरोही में कलक्टर कार्यालय और जिला परिषद सभा भवन के बीच में एक दीवार का ही फासला है।
इस दीवार में भी आवागमन के लिए एक छोटा दरवाजा है, लेकिन अधिकांश आला अधिकारी इस दीवार के उस पार जाने के सौ मीटर की दूरी बिना वाहन के पार करने में जैसे तौहीन समझते हैं। ऐसे में चंद कदम के फासले को कार में बैठकर तय करने वाले अधिकारियों से इतर जिला कलक्टर का इस तरह ब्यूरोक्रेट्स के संविधान से बडे स्वतः हासिल किए अधिकार को तिलांजलि देकर पैदल जिला परिषद में जाना आश्चर्य में डालने वाला था।
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