न्यूयॉर्क। अमरीका में राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि वह रूस के खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों को हटा सकते हैं साथ ही कहा कि अगर चीन अपने व्यापार व्यवहार को दुरुस्त नहीं करता तो वह बीजिंग की ‘वन चाइना’ नीति का समर्थन नहीं कर सकते।
ट्रंप ने वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित साक्षात्कार में कहा कि अमरीकी चुनाव में रूस के कथित साइबर हमलों के कारण ओबामा प्रशासन ने पिछले माह रूस के खिलाफ जो प्रतिबंध लगाए, उन्हें ‘कुछ समय के लिए’ तो रहने देंगे। लेकिन अगर रूस ने हिंसक उग्रवादियों के खिलाफ लड़ाई जैसे अहम लक्ष्यों में अमरीका की मदद करता है तो उसके खिलाफ प्रतिबंधों को वह पूरी तरह हटा सकते हैं।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 20 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर कार्यभार संभालने के बाद वह रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन के साथ मुलाकात को तैयार हैं। ट्रंप आईएसआईएस जैसे जेहादी संगठनों के खिलाफ अभियान में मॉस्को से सहयोग को एक अवसर के तौर पर देखते हैं।
उन्होंने पुतिन की तारीफ भी की और अमरीकी खुफिया एजेंसियों के इस नतीजे को बड़े ही अनमने ढंग से स्वीकार किया कि पुतिन के इशारे पर रूसी हैकर्स ने अमरीकी चुनाव में हेराफेरी की। ताईवान के अलग अस्तित्व को मान्यता नहीं देने के लंबे अरसे से चली आ रही अमरीकी रणनीति के संदर्भ में कहा कि वन चाइना समेत सबकुछ अभी विचार-विमर्श के चरण में है।
गौरतलब है कि चुनाव जीतने के बाद ट्रंप को ताईवान के राष्ट्रपति साइ-इंग-वेंग ने मुबारकबाद देने के लिए फोन किया और दोनों नेताओं के बीच संक्षिप्त बातचीत हुई। इसके कारण चीन खफा हो गया था और उसने अपनी नाराजगी का इज़हार भी किया था।
दरअसल, दशकों से अमरीका की नीति रही थी कि ताईवान के शीर्ष नेता से उनका राष्ट्रपति सीधे बातचीत नहीं करेगा। लेकिन अपने साक्षात्कार के दौरान ट्रंप ने अपने उस फैसले को सही बताया। उन्होंने कहा कि हमने पिछले साल उन्हें दो अरब डॉलर के अत्याधुनिक सैन्य उपकरण बेचे। ऐसे में उनसे बात नहीं करने का मामला बड़ा अजीब है और सबसे बड़ी बात यह है कि किसी का फोन कॉल रिसीव नहीं करना तो सामान्य शिष्टाचार के भी खिलाफ है।
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