नई दिल्ली: किसी अमृत से कम नहीं गौमूत्र, दूर करे बडे़ – बडे़ रोग। ऐसा हमारे बड़े बुजुर्ग और पुराणों में लिखा हैं। हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है इसलिये इसके गोबर और मूत्र को भी पवित्रता कि नज़र से देखा गया है। आयुर्वेद में गौमूत्र के प्रयोग से दवाइयां भी तैयार की जाती हैं।
आखिर क्यों कहा जाता हैं गो मूत्र को ‘अमृत’ पढ़ें-
गौमूत्र का नाम सुनकर कई लोगों की नाक-भौं सिकुड़ जाती हैं, लेकिन वे ये नहीं जानते कि गौमूत्र के नियमित सेवन से बडे़-बडे़ रोग तक दूध हो जाते हैं। गाय का मूत्र स्वाद में गरम, कसैला और कड़क लगता है, जो कि विष नाशक, जीवाणु नाशक, शक्ती से भरा और जल्द ही पचने वाला होता है।
गो मूत्र पिने के लाभ
- गोमूत्र में किसी भी प्रकार के कीटाणु नष्ट करने की चमत्कारी शक्ति है। सभी कीटानुजन्य व्याधियां नष्ट होती है।
- गोमूत्र त्रिदोष को सामान्य बनाता है अतएव रोग नष्ट हो जाते है।
- गोमूत्र शरीर में लिवर को सही क्र स्वच्छ खून बनाकर किसी भी रोग का विरोध करने की शक्ति प्रदान करता है।
- गोमूत्र में सभी तत्व होते है जो हमारे शरीर के आरोग्यदायक तत्वों की कमी की पूर्ति करते है।
- गोमूत्र रसायन है यह बुढ़ापा रोकता है व्याधियो को नष्ट करता है।
- आहार में जो पोषक तत्व कम प्राप्त होते है उनकी पूर्ति गोमूत्र में विद्यमान तत्वों से होकर स्वास्थ्य लाभ होता है।
आत्मा के विरुद्ध कर्म करने से ह्रदय और मष्तिष्क संकुचित होता है जिससे शरीर में क्रिया कलापो पर प्रभाव पड़कर रिग हो जाते है। - गोमूत्र सात्विक बुद्धि प्रदान कर सही कार्य कराकर इस तरह के रोगों से बचता है।
- जो रोगी वंश परम्परा से रोगी हो रोग के पहले ही गो मूत्र कुछ समय पान करने से रोगी के शरीर में इतनी विरोधी शक्ति हो जाती है की रोग नष्ट हो जाते है।
- विषों के द्वारा रोग होने के कारणों पर गोमूत्र विष नाशक होने के चमत्कार के कारण ही रोग नाश करता है। बड़ी-बड़ी विषैली औषधियां गोमूत्र से सुद्ध होती है।
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