नई दिल्ली। केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच अधिकारों की लड़ाई के मामले पर सुप्रीम 31 जनवरी को सुनवाई करेगा।
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार के वकील गोपाल सुब्रह्मण्यम ने इस मामले को मेंशन किया जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 31 जनवरी को सुनवाई का फैसला किया।
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली में उप राज्यपाल को प्रशासनिक प्रमुख बताया था जिसको चुनौती देते हुए दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास कुछ शक्तियां होनी चाहिए, नहीं तो सरकार काम नहीं कर पाएगी।
दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है, लेकिन इसके लिए विशेष प्रावधान हैं। दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच चल रहे टकराव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा था कि केस में दिल्ली सरकार और केंद्र से दो वकील आ जाते हैं और दोनों कहते हैं कि वे दिल्ली सरकार के लिए बहस करेंगे।
दिल्ली सरकार ने दलील दी कि राजधानी में काम करीब-करीब बंद हो गया है। पिछले 9 जनवरी को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली सरकार द्वारा सर्किल रेट बढ़ाने के विरोध में अर्जी दाखिल की थी जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था।
अगस्त 2015 में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के सर्किल रेट बढ़ाने के फैसले पर स्टे लगाने से मना कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा कि बिना दिल्ली सरकार का पक्ष सुने वे कोई फैसला नहीं दे सकते।