सबगुरु न्यूज-सिरोही/माउण्ट आबू । माउण्ट आबू नगर पालिका पर वन विभाग का कर्जा पौने पांच करोड से बढकर ब्याज समेत 18 करोड रुपये हो गया। ये पैसे चूंकि राज्यपाल की अधिसूचना के तहत गठित कमेटी के माध्यम से वन विकास के लिए लिया गया था ऐसे में नगर पालिका को यह पैसा माउण्ट आबू वन्य जीव अभयारण्य के विकास के लिए वन विभाग को देना भी होगा।
लेकिन सवाल यह है कि माउण्ट आबू के टोल बूथ पर यह पैसा हर साल एडवांस एकत्रित होता था, इसमें वन विभाग को नियमानुसार 30 प्रतिशत राशि दी जानी आवश्यक थी। ऐसे में इसे नजरअंदाज करके इसका ब्याज बढाने के दोषी कौन लोग हैं।
-2002 में लिया था प्रस्ताव
राज्यपाल की अधिसूचना के माध्यम से माउण्ट आबू में आबू पर्यावरण विकास समिति का गठन किया गया था। संभागीय आयुक्त को इसका अध्यक्ष और माउण्ट आबू के उप वन संरक्षक को इस समिति का सदस्य सचिव बनाया गया था।
फरवरी 2002 में हुई इस समिति की बैठक में माउण्ट आबू के टोल नाके पर यात्री कर की बढोतरी करने का निर्णय किया गया था और वर्ष भर मे ंएकत्रित की गई इस राशि का तीस प्रतिशत माउण्ट आबू वन विभाग का दिया जाना था।
इस राशि से वन क्षेत्र में पर्यटन और वन क्षेत्र के विकास के लिए काम किया जाना था, लेकिन माउण्ट आबू नगर पालिका ने कभी भी वित्तीय वर्ष के अंत में वन विभाग के तीस प्रतिशत की पूरी हिस्सेदारी उसे नहीं दी।
परिणमस्वरूप 2002 से 2016 तक यह आउटस्टैंडिंग बढकर करीब 4.75 करोड रुपये हो गई। 18 प्रतिशत ब्याज के साथ कुल आउटस्टैंडिंग करीब अठारह हजार रुपये हो गई है।
-तीन साल में ही दो बार एक भी पैसा नहीं दिया
नगर पालिका ने पिछले चार सालो मंें तो दो साल तो माउण्ट आबू के टोल नाके से यात्री कर के रूप में वसूली राशि का तीस प्रतिशत का एक रुपया भी वन विभाग को नहीं दिया। परिणामस्वरूप वन विभाग को अपना राजस्व वसूलने के लिए सख्त कदम उठाने पर विवश होना पडा।
इनका कहना है….
वन विभाग को माउण्ट आबू के टोल नाके पर से वसूली गई यात्री कर की राशि में से तीस प्रतिशत दिया जाना था। बहुत ही कम ऐसा हुआ कि वन विभाग को पूरी राशि दी गई हो। इससे आउटस्टेंडिग बढकर करीब पौने पांच करोड रुपये हो गई और 18 प्रतिशत ब्याज के साथ यह करीब 18 करोड हो गई। इसलिए वन विभाग ने वन क्षेत्र में जाने वाले पर्यटकों के लिए अतिरिक्त शुल्क लिए जाने का निर्णय किया है।
केजी श्रीवास्तव
उप वन संरक्षक