लखनऊ। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले टिकटों की आस में नेताओं की निष्ठा बदल रही है। इसी कड़ी में शनिवार को एक बड़े सियासी घटनाक्रम में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री अम्बिका चौधरी बसपा में शामिल हो गए।
अम्बिका को पार्टी में शामिल करने की घोषणा स्वयं बसपा मुखिया मायावती ने की। उन्होंने कहा कि अम्बिका चौधरी को बसपा में सपा से भी ज्यादा सम्मान दिया जाएगा। इसके अलावा बलिया की उनकी सीट रही फेफना विधानसभा से भी वह पार्टी के उम्मीदवार घोषित किए जाते हैं। वहीं इस मौके पर अम्बिका चौधरी ने कहा कि मैने सपा से इस्तीफा दे दिया है।
अखिलेश के कदम की जनता कर रही आलोचना
उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी पिछले कुछ समय से अल्पसंख्यकों और पिछड़ों की हिफाजत के बजाए अपने झगड़े में ही लगी रही। सपा की कलह से मैं परेशान था। उन्होंने कहा कि मैं सपा में नेताजी मुलायम सिंह यादव का ही सर्वाधिक खास था और जिस तरह से उनके पुत्र मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने समर्थकों सहित उनके साथ व्यवहार किया है, उससे मैं बेहद दुःखी हूं।
जनता में इसकी आमतौर पर आलोचना हो रही है। इसे निन्दनीय बताया जा रहा है। अम्बिका ने कहा कि इलेक्शन कमीशन का फैसला आने के बाद अखिलेश गुट का मनोबल और बढ़ गया है और उन्होंने नेताजी को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि वह साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ लड़ने के लिए बसपा में शामिल हुए हैं।
इससे पहले सपा में तख्तापलट की लड़ाई के दौर में अम्बिका शिवपाल गुट में थे। उन्हें मुलायम का करीबी भी माना जाता है। मुलायम ने अम्बिका को मंत्रिमण्डल से निकालने पर अखिलेश यादव से नाराजगी भी जाहिर की थी। वहीं शिवपाल यादव की लिस्ट में उन्हें फेफना से प्रत्याशी भी बनाया गया था, लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कई मामलों को लेकर अम्बिका चौधरी से खफा थे।
अम्बिका पर मंत्री रहते जमीन कब्जाने जैसे भी आरोप लगे। बाद में सीएम अखिलेश यादव ने उन्हें मंत्रीमण्डल से बाहर कर दिया था। यह भी तय माना जा रहा था कि वह अम्बिका चौधरी को अब टिकट नहीं देंगे। अम्बिका पिछला विधानसभा चुनाव भी फेफना से हार गए थे।