चेन्नई। तमिलनाडु में जलीकट्टू के समर्थन में जारी प्रदर्शन और उग्र हो गया है। पुलिस कार्रवाई से नाराज़ प्रदर्शनकारियों ने पहले आइस हाउस पुलिस स्टेशन के बाहर जमकर हंगामा किया।
प्रदर्शनकारियों ने थाने के बाहर खड़ी गाड़ियों में आग भी लगाई और पुलिसवालों पर पत्थरबाज़ी भी की गई, जिसमें 20 पुलिसकर्मियों घायल हो गए।
वहीं, कोयंबटूर के गांधीपुरम जंक्शन के पास छात्र समूहों के प्रदर्शन में भी हिंसा हुई, जिसमें पांच छात्र घायल हो गए और एक ही हालत नाजुक बनी हुई है।
जलीकट्टू पर लगी रोक हटाने के लिए अध्यादेश लाने के बाद भी लोग पिछले 6-7 दिनों से मरीना बीच पर जुटे हुए हैं।
लेकिन सोमवार सुबह पुलिस द्वारा प्रदर्शन खत्म कराने के लिए समझाने की कोशिश के बाद भी जब वो नहीं माने तो पुलिस को बल का इस्तेमाल करना पड़ा। लाठीचार्ज में कई प्रदर्शनकारी घायल भी हुए।
चेन्नई के अलावा मदुरै, कोयंबटूर और त्रिची से भी प्रदर्शनकारियों को जबरन हटाया जा रहा है। वहीं पुलिस ने मरीना बीच की तरफ जाने वाले तमाम रास्ते बंद कर दिए हैं। जबकि प्रदर्शनकारियों की मांग है कि जलीकट्टू पर स्थाई समाधान हो।
उनका कहना है कि ये अध्यादेश तो छह महीने बाद निरस्त हो जाएगा, इसलिए सरकार इस पर एक स्थाई कानून बनाए।
प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज के खिलाफ छात्रों-युवाओं के आक्रोश के अलावा विधानसभा में राजनीतिक भी नाराज रहे। ऐसे में डीएमके नेताओं ने तो सुबह तमिलनाडु विधानसभा की चर्चा से वॉकआउट कर गए।
लोकतांत्रिक रूप से प्रदर्शन कर रहे लोगों को बलपूर्वक हटाने के मुद्दे पर डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने सरकार की निंदा की।
दूसरी ओर, वरिष्ठ पत्रकार राजगोपालन ने मरीना बीच पर पुलिस की कार्रवाई का समर्थन करते हुए कहा कि इस आंदोलन में माओवादी तत्वों के घुसने की आशंका है, तभी मामला शान्त नहीं हो रहा।
इसके अलावा, राजगोपालन ने यह भी चेताया कि तमिलनाडु की सीमा श्रीलंका से जुड़ी है और अगर पुलिस आंदोलन को समाप्त नहीं करती, तो हालात बेकाबू हो सकते हैं।