नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को बहादुर बच्चों को वीरता पुरस्कार प्रदान किए। इस दौरान प्रधानमंत्री ने वीरता पुरस्कार विजेता बच्चों से कहा कि उनका यह साहसी कार्य उनकी निर्णय लेने की क्षमता और पराक्रम को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार उन्हें जीवन में आगे और बेहतर करने की प्रेरणा बननी चाहिए। नेताजी को उनके जन्मदिवस पर याद करते हुए प्रधानमंत्री ने बच्चों से कहा कि उन्हें महान लोगों के बारे में पढ़ना चाहिए।
उन्होंने कहा कि साहस हमारे मन की शक्ति को दर्शाता है। इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी भी उपस्थित थीं।
उल्लेखनीय है कि इस साल के राष्ट्रीय वीरता पुरस्कारों के लिए देशभर से 25 बच्चों को चुना गया है जिसमें से 12 लड़कियां और 13 लड़के शामिल हैं। इन सबको इंडियन काउंसिल फॉर चाइल्ड वेलफेयर की ओर से चुना गया है।
इनमें से चार को यह पुरस्कार मरणोपरांत दिया गया है। यह पुरस्कार पांच श्रेणियों में दिए जाते हैं भारत पुरस्कार, (1987 से), गीता चोपड़ा पुरस्कार, (1978 से), संजय चोपड़ा पुरस्कार, (1978 से), बापू गैधानी पुरस्कार, (1988 से), सामान्य राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार, (1957 से)।
इस वर्ष के प्रतिष्ठित भारत पुरस्कार के लिए अरुणाचल प्रदेश के 8 वर्षीय तारह पेजु को दिया गया है। उसने अपने दो दोस्तों को डूबने से बचाने के लिए अपने जीवन बलिदान दे दिया था। गीता चोपड़ा पुरस्कार 18 साल की तेजस्विता प्रधान और 17 साल की शिवानी गोंद को दिया गया।
पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग की तेजस्विता और शिवानी ने सोशल मीडिया के जरिये अंतरराष्ट्रीय देह व्यापार गिरोह का भंडाफोड़ कर इस गिरोह के सरगना समेत तीन अपराधियों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया था।
वहीं संजय चोपड़ा पुरस्कार उत्तराखंड के 15 वर्षीय सुमित ममगंई को दिया गया। उसने बहादुरी का प्रदर्शन करते हुए तेंदुए से लड़कर अपने चचेरे भाई को बचाया था।
केएम रोलहआहपूरी (13 वर्ष) मिजोरम (मरणोपरांत), छत्तीसगढ़ के मास्टर तुषार वर्मा (15 वर्ष) और मिजोरम के केएम लालहरितपुई (14 वर्ष) (मरणोपरांत) बापू गैधानी पुरस्कार प्रदान किया गया।रोलहआहपूरी ने जीवन का बलिदान देते हुए दो लड़कियों को डूबने से बचाया।
तुषार वर्मा ने अपने खुद के जीवन को खतरे में डाल कर अपने पड़ोसी के शेड में आग बुझाई और कई मवेशियों को बचाया। लालहरितपुई ने एक कार दुर्घटना में चचेरे भाई को बचाने के प्रयास में अपने जीवन बलिदान दे दिया।
इसके अलावा समान्य वीरता पुरस्कार प्रफुल्ल शर्मा (हिमाचल प्रदेश), सोनू माली (राजस्थान), अकशिता शर्मा, अक्षित शर्मा, नमन (सभी दिल्ली से), अंशिका पांडे (उत्तर प्रदेश), निशा दिलीप पाटिल (महाराष्ट्र), सिया वामांसा खोडे (कर्नाटक), मोइरंगाथम सदानंद सिंह (मणिपुर), बिनिल मंजाले, अदिथ्यान पिल्लई, अखिल कुमार शिबू और बादारुन्नीसा (केरल से), तंकेशवर पेगु (असम), नीलम ध्रुव (छत्तीसगढ़), थांघिलमंग लुनकिम (नागालैंड), मोहन शेथी (ओडिशा) और देर पायल देवी (जम्मू-कश्मीर) को प्रदान किया गया।
सभी बहादुर बच्चे अब 26 जनवरी को राजपथ पर गणतंत्र दिवस की झांकी में शामिल होंगे और अपने बहादुर कारनामों से देश का नाम रोशन करेंगे। भारतीय बाल कल्याण परिषद ने 1957 में ये पुरस्कार शुरू किए थे।
पुरस्कार के रूप में एक पदक, प्रमाण पत्र और नकद राशि दी जाती है। सभी बच्चों को विद्यालय की पढ़ाई पूरी करने तक वित्तीय सहायता भी दी जाती है।