भोपाल। मध्यप्रदेश में पढ़ाई का स्तर सुधारने के लिए सरकार ने परीक्षा प्रणाली ही बदलने का फैसला कर लिया है। अब परीक्षा में केवल 16 प्रतिशत अंक लाने वाले छात्र को 33 प्रतिशत मान लिया जाएगा और वो 10वीं पास हो जाएगा।
दरअसल, मध्यप्रदेश में 9वीं कक्षा से सरकार सतत एवं व्यापक मूल्यांकन, सीसीई पैटर्न लागू करने जा रही है। इसके तहत माध्यमिक शिक्षा मंडल अब केवल 100 में से 60 फीसदी अंकों के लिए ही परीक्षा लेगा। बाकि के 40 प्रतिशत अंक साल भर चलने वाली दूसरी गतिविधियों के लिए होंगे जो स्कूल के शिक्षक और प्रिंसिपल देंगे।
सीसीई प्रणाली में बेस्ट फाइव पद्धति लागू की जाएगी। इसमें छह विषयों की परीक्षा होगी, पर रिजल्ट ज्यादा नंबर लाने वाले पांच विषयों के अंक जोड़कर तैयार किया जाएगा। दसवीं में दो विषयों में सप्लीमेंट्री भी देने का प्रावधान किया जा रहा है।
वहीं स्कूल के शिक्षक और प्रिंसिपल भी इस फैसले को सही ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि इससे बच्चों की दूसरी गतिविधियों में रुचि बढ़ेगी और इसके नंबर परीक्षा में जुडऩे से उनका रिजल्ट का प्रतिशत भी बढ़ेगा। छात्र-छात्राएं भी सरकार के इस नए निर्णय से खुश नजर आ रहे हैं।
उनका कहना है कि ऐसा करने पर उन्हें रुचि के अनुसार काम करने का मौका तो मिलेगा ही साथ में उनका पढ़ाई का बोझ भी कम हो जाएगा। दसवीं की मुख्य परीक्षा का रिजल्ट 100 अंकों के आधार पर ही बनेगा पर माध्यमिक शिक्षा मंडल की परीक्षा का प्रश्नपत्र 60 अंकों का होगा, बाकि 40 अंक तिमाही, छमाही और सहशैक्षिक गतिविधियों के होंगे।
इसमें 20 फीसदी अंक तिमाही और छमाही परीक्षा के होंगे और 20 सहशैक्षिक गतिविधियों के होंगे। छात्र को सब मिलाकर 33 फीसदी अंक ही लाने हैं। उसे शैक्षिण गतिविधियों में 20 में से 20 अंक मिल जाते हैं तो परीक्षा में महज 16 फीसदी अंक लाने पर ही वह पास हो जाएगा।
सह-शैक्षिक गतिविधियों में एनसीसी, बालरंग, खेल प्रतियोगिता, मोगली उत्सव जैसी गतिविधियों को शामिल किया गया है। वहीं व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में संस्कृत को वैकल्पिक कर दिया गया है।