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esz rules implemented surrounding mount abu senctury area!
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आबूरोड, रेवदर, सिरोही और पिण्डवाडा क्षेत्र में भी ईको सेंसेटिव जोन के कायदे!

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आबूरोड, रेवदर, सिरोही और पिण्डवाडा क्षेत्र में भी ईको सेंसेटिव जोन के कायदे!
mount abu senctuary
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सबगुरु न्यज-सिरोही। आबूरोड के सबसे कीमती और नव रिहायशी इलाके में भी ईको सेंसेटिव जोन के नियम और नियंत्रण लागू होंगे। इसके अलावा सिरोही, रेवदर और पिण्डवाडा तहसीलों के माउण्ट आबू सेंचुरी से सटे इलाकों में भी यही पाबंदियां व नियंतण लागू होंगे। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने माउण्ट आबू सेंचुरी के चारों बफर जोन की सीमा घटाकर जीरो किलोमीटर करने के प्रस्ताव का ठुकरा दिया है।

अब यहां पर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार एक से दस किलोमीटर के क्षेत्र में बफर जोन रखना होगा। जिससे आबूरोड, रेवदर, सिरोही और पिण्डवाडा तहसीलों के माउण्ट आबू अभयारण्य से सटी 10 किलोमीटर तक के एरियल डिस्टेंस में पडने वाले गांव, फलियां, काॅलोनियों में वही कायदे लागू होंगे जो माउण्ट आबू ईको सेंसेटिव जोन में लागू हैं।

बताया यह जा रहा है कि पुरानी घनी बस्तियां इससे अप्रभावित रहेंगी, ऐसे में सबसे ज्यादा प्रभावित यूआईटी आबूरोड में आने वाले और मावल, गिरवर, आमथला, तलवार का नाका, आबूरोड तलहटी का क्षेत्र प्रभावित होगा और आबूरोड नगर पालिका और पूर्व में ही घनी बसी ग्राम पंचायतों की आबादी क्षेत्र इससे अप्रभावित रहेगा।
-वर्तमान स्थिति क्या ?
वर्तमान में माउण्ट आबू सेंचुरी के चारों ओर के गांवों की क्या स्थिति है इसके लिए केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर के 31 मार्च, 2016 को बजटीय मांगों की चर्चा के दौरान दिए हुए बयानों पर गौर करना काफी होगा।

मंत्री ने संसद में बताया कि जब तक केन्द्र और राज्य सरकारें मिलकर सेंचुरी इलाकों के चारों और बफर जोन नोटिफाइड नहीं कर लेती तब तक दस किलोमीटर तक का इलाका बफर जोन होगा।

ऐसे में माउण्ट आबू सेंचुरी से सटा पूरा आबूरोड शहर के साथ पिण्डवाडा, रेवदर और सिरोही के कई गांवों में ईको सेंसेटिव जोन के प्रावधान लागू हो चुके हैं। यहां नगर परिषद और राजस्व की बजाय अब वन विभाग के कानून लागू होंगे।
-क्या करना होगा सरकार को
केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर के संसद में दिए जवाब के अनुसार जब तक राज्य और केन्द्र सरकार बफर जोन की सीमा निश्चित नोटिफाइड  नहीं कर लेती तब तक सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ही बफर जोन होगा। ऐसे में राज्य सरकार को तुरंत बफर जोन को नोटिफाइड करना होगा।
-क्या हुआ था पहले
माउण्ट आबू वन सेंचुरी के चारों ओर बफर जोन का सीमांकन करने के लिए 2012 में ही राज्य सरकार ने जिला स्तरीय कमेटी गठित की थी। तत्कालीन जिला कलक्टर बनालाल इसके अध्यक्ष थे। बफर जोन से सटी पंचायत समितियों के जनप्रतिनिधि इसके सदस्य थे।

इस कमेटी ने सर्वसम्मति से माउण्ट आबू अभयारण्य के चारों और जीरो किलोमीटर तक बफर जोन रखने का प्रस्ताव पारित करके राज्य सरकार के माध्यम से केन्द्र सरकार को भेज दिया। इसे केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने ठुकरा दिया है।

-क्या प्रयास कर रही है सरकार?
सिरोही में शुक्रवार को डिविजनल कमिश्नर रतन लाहोटी की अध्यक्षता में आबू पर्यावरण समिति की बैठक हुई। इसमें जनप्रतिनिधियों ने बफर जोन को 250 मीटर तक करने का मार्ग निकालने का मुद्दा रखा।

इसमें सिरोही कलक्टर अभिमन्यु कुमार, माउण्ट आबू उपवन अधिकारी केजी श्रीवास्तव, माउण्ट आबू एसडीएम गौरव अग्रवाल,  सांसद देवजी पटेल, यूआईटी अध्यक्ष सुरेश कोठारी, आबूरोड पालिकाध्यक्ष सुरेश सिंदल, माउण्ट आबू पालिकाध्यक्ष सुरेश थिंगर आदि मौजूद थे।

-यूं आई बात सामने
माउण्ट आबू सेंचुरी के चारों ओर का दस किलोमीटर एरियल डिस्टेंस का क्षेत्र बफर जोन में आ रहा है इसकी जानकारी यूआईटी की कंवर्जन की पत्रावलियों के कंवर्जन में हाल ही में आई समस्या के बाद सामने आई।

कंवर्जन के लिए आई इन पत्रावलियों का कंवर्जन नहीं किया गया तब पता चला कि माउण्ट आबू सेंचुरी के चारों ओर के क्षेत्र में बफर जोन का नोटिफिकेशन जारी नहीं होने के कारण सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार दस किलोमीटर का क्षेत्र बफर जोन में आ रहा है। इसके बाद कई काॅलोनाइजर्स और नेताओं की नींद उड गई।

ऐसे में यूआईटी आबूरोड क्षेत्र में बफर जोन के नोटिफिकेशन के जारी हुए बिना जितने भी कंवर्जन हुए हैं वह सुप्रीम कोर्ट में चेलेंजेबल हो जाते है।
-बफर जोन होने से क्या होगा?
जब तक बफर जोन की सीमा निर्धारित करते हुए नोटिफिकेशन जारी नहीं हो जाता तब तक माउण्ट आबू सेंचुरी के चारों ओर दस किलोमीटर के दायरे में आने वाले शहर, गांव और ढाणियों में भूमि का कंवर्जन, निर्माण गतिविधियां, माइनिंग, नई इंडस्ट्री की स्थापना आदि पर रोक लगी रह सकती है। या इस दौरान होने वाली उक्त किसी भी गतिविधि के लिए कोई भी सुप्रीम कोर्ट जा सकता है।

-एनजीटी में भीे बफर जोन पर घेरने की तैयारी
माउण्ट आबू सेंचुरी के चहुंओर बफर जोन को लेकर अब तक नोटिफिकेशन जारी नहीं किए जाने को लेकर  नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल में भी राज्य और केन्द्र सरकार की खिंचाई हो सकती है।

इतना ही नहीं इसमें प्रशासनिक अधिकारियों को भी आडे हाथों लिया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार इसके लिए एनजीटी में एक सप्लीमेंट्री एप्लीकेशन भी लगाई जा चुकी है।
इनका कहना है…
जयपुर में 9 दिसम्बर को हुई ईको सेंसेटिव जोन की बैठक में बता दिया था कि जीरो बफर जोन के प्रस्ताव को केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने ठुकरा दिया है। जब तक नोटिफिकेशन के माध्यम से  बफर जोन का क्षेत्र निर्धारण नहीं हो जाता तब तक दस किलोमीटर तक का क्षेत्र बफर जोन होगा और इसमें वन अधिनियम व ईएसजेड रूल लागू होंगे।
केजी श्रीवास्तव
उपवन संरक्षक, माउण्ट आबू।
भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को बफर जोन को लेकर फेक्चुअल रिपोर्ट भेजेंगे। इसमें यह बताया जाएगा कि कितना हेबीटेट है।
रतन लाहोटी
संभागीय आयुक्त, जोधपुर।