लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस बार यूपी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। अखिलेश इस समय विधान परिषद सदस्य हैं और कहा जा रहा है कि सरकार बनने की स्थिति में भी वह उच्च सदन के ही सदस्य बने रहने के इच्छुक हैं।
इससे पहले अटकलें लगायी जा रहीं थीं कि अखिलेश यादव लखनऊ की सरोजनीनगर विधानसभा से चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन पार्टी ने ऐसी सम्भावनाओं को पूरी तरह खारिज कर दिया। इससे ये साफ हो गया कि वह इस बार के विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी नहीं बनेंगे।
पार्टी नेताओं के मुताबिक अखिलेश यादव चुनाव के दौरान पूरे प्रदेश में सघन प्रचार करेंगे। उनका पूरा ध्यान चुनाव अभियान पर ही केन्द्रित रहेगा, इस वजह से उन्होंने यह निर्णय लिया है।
वहीं राजनैतिक विश्लेषकों के मुताबिक पार्टी में हुई तख्तापलट की लड़ाई के बाद अखिलेश यादव के सामने खुद को साबित करने की चुनौती है। जिस तरह से मुलायम सिंह यादव ने पार्टी के घोषणापत्र जारी होने के मौके पर आने से परहेज किया, उससे कयास लगाए जा रहे हैं कि वह चुनाव में प्रचार भी नहीं करेंगे।
इसके अलावा शिवपाल यादव भी इस समय पार्टी में पूरी तरह से किनारे कर दिए गए हैं। ऐसे में अखिलेश ही पार्टी के सर्वोच्च नेता के तौर पर जिम्मेदारी संभाले हुए हैं। इसलिए उनके सामने पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाने की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी है।
जाहिर है कि खुद के चुनाव लड़ने पर वह अपनी विधानसभा चुनाव में बेहतर तरीके से ध्यान नहीं दे पाएंगे। इसलिए उन्होंने चुनाव लड़ने से किनारा कर दिया है। वैसे बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती भी विधानसभा चुनाव लड़ने से परहेज करती हैं।
बसपा की सरकार बनाने पर वह भी विधान परिषद सदस्य बनना ही पसन्द करती हैं। अखिलेश यादव ने भी वर्ष 2012 में सपा के पूर्ण बहुमत में आने के बाद विधान सभा के बजाए विधान परिषद का रास्ता चुना था।