बर्दवान। स्कूल के प्रवेश द्वार के पास अवैध तरीके से दुकान खोले जाने से उत्पन्न विवाद के चलते शुक्रवार के बाद शनिवार को भी बर्दवान जिले का आउसग्राम में रणक्षेत्र जैसी स्थिति बनी रही।
शनिवार को गुस्साई भीड़ ने आउसग्राम थाने पर हमला कर दिया। इस दौरान थाने में जम कर तोड़फोड़ करने बाद आग लगा दी गई। उत्तेजित भीड़ के कहर से बचने के लिए थाने में मौजूद पुलिस कर्मी जान बचा कर जंगलों में भाग गए। इस घटना में दो सब इंस्पेक्टर सहित सात लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इन सभी को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
गौरतलब है कि आउसग्राम उच्च विद्यालय के प्रवेश द्वार के पास अवैध तरीके से दुकान खोले जाने के खिलाफ शुक्रवार को स्कूल के शिक्षकों व ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया था। इस दौरान पुलिस पर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल प्रयोग करने के आरोप लगे थे।
पुलिस ने स्कूल परिचालन समिति के अध्यक्ष चंद्रनाथ बनर्जी एवं शिक्षक अरविन्द बनर्जी को हिरासत में ले लिया था। इसके विरोध में करीब छह सौ छात्र-छात्रायें स्कूल के सामने धरने पर बैठ गए थे। शनिवार सुबह दोनो को पुलिस ने छोड़ दिया।
थाने से निकल कर वे दोनों सीधे स्कूल पहुंचे और प्रदर्शन कर रहे लोगों को बताया कि पुलिस ने थाने में उनके साथ मारपीट की। यह सुनते ही प्रदर्शनकारी उग्र हो उठे। वे तत्काल पुलिस को ज्ञापन देने थाने पहुंच गए।
इस दौरान पुलिस के साथ पहले उनकी कहासुनी हुई और फिर भीड़ उग्र हो उठी और थाने पर हमला कर दिया गया। पुलिस का आरोप है कि प्रदर्शनकारी लाठियों से लैस थे और उन्होंने पुलिस कर्मियों के साथ मारपीट की और फिर थाने में घुस कर तोड़फोड़ व आगजनी की गई।
थाना प्रभारी इमतियाज खान ने कहा कि हमला अचानक हुआ जिसकी वजह से पुलिस को संभलने का मौका नहीं मिला। पुलिसकर्मियों को अपनी जान बचाने के लिये थाना छोड़ कर भागना पड़ा।
दूसरी तरफ प्रदर्शनकारियों का कहना था कि पहले पुलिस ने उन पर लाठी चार्ज किया। बर्दवान के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कुणाल अग्रवाल ने कहा कि शुक्रवार को ही बातचीत के जरिये मसले को सुलझा लिया गया था। ऐसे में थाने पर हमले की वजह समझ से बाहर है।
उन्होंने कहा कि जो लोग इस हमले में शामिल थे उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। उधर, तृणमूल के बर्दवान जिले के प्रभारी अनुव्रत मंडल ने इस घटना के पीछे माकपा का हाथ होने की आशंका जताई है।