नई दिल्ली। गांधीजी को भेंट की गई घड़ी अब दिल्ली में गांधी स्मारक संग्रहालय में ऱखवाई गई है। यह घड़ी दिल्ली संग्रहालय को भी कुछ समय पहले ही हासिल हुई है।
संग्रहालय निदेशक ने इस घड़ी के निर्माता पोलोग्राउंड इंदौर के उद्यम क्लॉक वर्क्स को पत्र लिखकर इसकी पुष्टि की है। ये घड़ी एम.ए. कस्तूरे ने 1947 में गांधी जी को भेंट की थी।
एम.ए. कस्तूरे के 60 वर्षीय बेटे मुकुंद कस्तूरे के अनुसार हिंदी अंकों वाली यह पहली हस्तनिर्मित घड़ी थी। गांधी जी जिस घड़ी को कमर में लटका कर रखते थे। वह 1947 में पटना से दिल्ली जाते वक्त खो गई थी।
यह खबर अखबारों के जरिए जब उनके पिता को पता चली तो उन्होंने गांधी जी को इंदौर से दिल्ली टेलीग्राम कर अपने ट्रेडमार्क उद्यम की घड़ी उन्हें भेंट करने की इच्छा जाहिर की।
मुकुंद के पिता की यह इच्छा 11 जून 1947 को पूरी हो गई जब उन्होंने चांदी के केस में जेब घड़ी और एक हस्तनिर्मित टेबल घड़ी बापू को भेंट की। इस घड़ी के अंक हिंदी में थे।
बापू की शहादत के दिन 30 जनवरी 1948 तक यही घड़ी उनके पास थी। मुकुंद ने बताया कि उनके पिता ने देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद और द्वितीय राष्ट्रपति डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भी हस्तनिर्मित घड़ियां भेंट की थीं।