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सिरोही:तीन दीक्षार्थियों का वरघोडा निकला - Sabguru News
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सिरोही:तीन दीक्षार्थियों का वरघोडा निकला

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सिरोही। अहमदाबाद में दीक्षा लेने वाले तीन दीक्षार्थियों का सोमवार को देवनगरी में वरघोडा निकला।
सवेरे राजमहलू से चतुर्विद संघ के साथ वरघोडा शुरू हुआ। इसमें चांदी के रथ में भगवान की प्रतिमा लेकर बैठी श्रावक-श्राविकाओं के साथ मंडार के दीक्षार्थी भंवरलाल दोषी, दांतराई की कुमारी खुशबू एवं वराड़ा की कुमारी अक्षिता बैठी हुई थी।

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समाज के नवयुवकों ने दीक्षर्थियों को कंधे पर उठाकर जयकार की। राजमहल से शुरू होकर वरघोड़ा सदर बाजार, राठौड़ लाइन, बग्गीखाना होते हुए जैन वीसी पहुंचा यहां पर धर्मसभा के रूप में परिवर्तित हो गया। जगह-जगह वरघोडे का नागरिकों ने पुष्प वर्षा करके स्वागत किया। महावीर नवयुवक मंडल के नवयुवक वरघोड़े की व्यवस्था में काफी सक्रिय दिखाई दिये। वरघोड़े में मुनि आत्मरति विजय एवं हितरति विजय व इंद्ररति विजय महाराज ने अपनी पावन निश्रा प्रदान की।
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सुख के लिए सांसारिक नहीं संयम मार्ग श्रेष्ठ: मुनिराज
मुनि हितरति विजय ने हीरसूरि उपासरे में प्रवचन में कहा कि बताया कि सुख के लिए सांसारिक नहीं संयम मार्ग श्रेष्ठ है। संयम ग्रहण करने के बाद साधना से अपने ज्ञान दर्शन चरित्र को उज्जवल बनाने से ही मोक्ष संभव है। उन्होंने कहा कि जीवन में लेना आसान है, लेकिन छोड़ना बड़ा कठिन है। व्यक्ति खाली हाथ आया है और खाली हाथ जाएगा फिर भी वो जीवन में संग्रहण की प्रवृति से उपर नहीं उठ पाता है।

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उन्होंने कहा कि धर्म क्रिया करने से पुण्य नहीं मिलता है। पुण्य के लिए क्रिया को धर्म में परिवर्तित करना होगा। दीक्षार्थी भंवरलाल दोषी की अनुमोदना करने हुए मुनि ने कहा कि दोषी में प्रभु एवं गुरु भक्ति की अदभुत क्षमता है। उन्होंने इन दोनों कार्यों में अपने आप को समर्पित कर दिया, जिसके कारण उन्हें वैराग्य की तरफ बढ़ने का सुअवसर मिला है। वैराग्य के लिए तप व त्याग की भावना जरूरी है और उनकी अनुमोदना करने वालों को भी कुछ त्याग करने की ओर पहल करनी चाहिए।

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दीक्षार्थियों ने बांटे सांसारिक जीवन के अनुभव
दीक्षार्थी भंवरलाल दोषी ने उपासरे में अपने जीवन एवं सांसारिक अनुभवों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका जन्म मंडार में हुआ। दसवीं तक की शिक्षा एवं धार्मिक संस्कार उन्हें शिवगंज में तथा काॅलेज की शिक्षा सिरोही में करने का अवसर मिला। उन्होंने अपने जीवन में धर्म को समझा तथा गुरुदेव के प्रवचनों से उन्हें वैराग्य की तरफ बढ़ने का सिलसिला 1982 से चला। पिछले 10 वर्षों से उन्होंने अपना ध्यान धर्म आराधना, तप एवं साधना में ज्यादा लगाना प्रारंभ कर अंतिम निर्णय दीक्षा का किया। उन्होंने कहा कि क्षणिक सुख संसार में मिलता है, लेकिन शास्वत सुख तो संयम अपनाने पर ही मिलेगा। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर की वाणी आज भी प्रांसगिक है, जिसे विज्ञान भी स्वीकार करता है। उन्होंने जैन साधु की त्याग तपस्या को अदितिय बताते हुए कहा कि उनका पुण्य मेरूपर्वत के समान प्रबल है और उनकी साधना एवं विहार से जैन धर्म का विषेश स्थान बना हुआ है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे देश में बढ़ रही हिंसा, तनाव एवं दुव्र्यसनों पर गहन चिंतन कर उससे दूर हटकर अपने जीवन को सहज बनाकर परमात्मा की भक्ति में मन लगाए।

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धर्मसभा के मुख्य अतिथि जिला सत्र एवं सेशन न्यायाधीश प्रकाशचंद पगारिया ने कहा कि दीक्षार्थियों के संयम मार्ग अपनाने के निर्णय का चिंतन कर यह अवसर पर सबको मिले उसके लिए धर्म आराधना में समर्पित करे। उन्होंने दीक्षार्थियों का अभिनंदन करते हुए कहा कि दीक्षार्थी संयम जीवन में प्रवेश कर अपना जीवन निर्मल बनाएंगे तथा वैराग्य का मान सम्मान बढ़ाएंगे। श्री जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक युवक महासंघ के वरिश्ठ उपाध्यक्ष कमलेश चैधरी ने आयोजन पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर तीनों दीक्षार्थियों का अभिनंदन जैन संघ की ओर से मुख्य टिलायत किशोर चैधरी एवं जैन संघ पेढ़ी के पदाधिकारियों ने तिलक, हार, शाॅल एवं स्मृति चिन्ह से किया। इस मौके पर उन्हें अभिनंदन पत्र भेंटकर उनकी धर्मयात्रा की सफलता की शुभकामनाएं दी। सेठ कल्याणजी परमानंदजी पेढ़ी, श्री आदेश्वर महाराज पेढ़ी एवं राजस्थान जैन संघ की ओर से भी दीक्षार्थियों का अभिनंदन किया गया। संघ की ओर से स्वामी वात्सल्य के लाभार्थी डाॅ. हरीश बाफना परिवार का बहुमान किया। संघ की ओर अश्विन शाह ने दीक्षार्थियों के वर्षीदान वरघोड़े को सफल बनाने पर समाज के नवयुवकों एवं नागरिकों के प्रति आभार व्यक्त किया। वरघोड़े के कारण जैन बंधुओं ने आज अपने प्रतिष्ठान बंद रखकर इस धार्मिक आयोजन में भाग लिया। धर्मसभा में संघ की ओर से मुख्य अतिथि जिला सत्र एवं न्यायाधीश प्रकाशचंद पगारिया का भी बहुमान किया। धर्मसभा में गुरू पूजन का लाभ किशोर गांधी ने लिया। कार्यक्रम के बाद दीक्षार्थी भंवरभाई दोशी ने एक पत्रकार वार्ता में दीक्षा ग्रहण करने पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सुख के लिए संयम मार्ग ही सर्वश्रेष्ठ है। इस दौरान पत्रकारों ने उनका अभिनन्दन किया।