नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र के पहले दिन केंद्र सरकार ने दोनों सदनों में एक अध्यादेश प्रस्तुत किया जिसमें पांच सौ और एक हजार रुपए के पुराने नोटों का भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से दायित्व समाप्त करने का प्रावधान किया गया है।
लोकसभा में संसदीय कार्य राज्यमंत्री एसएस अहलुवालिया ने संविधान के अनुच्छेद 123 (2) (क) के तहत विर्निदिष्ट बैंक नोट (दायित्वों की समाप्ति) अध्यादेश, 2016 पटल पर रखा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 8 नवम्बर को 500 और 1000 रुपए के नोट अमान्य करने की घोषणा के मद्देनजर यह अध्यादेश पेश किया गया।
विर्निदिष्ट बैंक नोट (दायित्वों की समाप्ति) अध्यादेश, 2016 पिछले वर्ष 30 दिसम्बर को जारी किया गया था। अहलुवालिया ने शत्रु सम्पत्ति (संशोधन और विधिमान्यीकरण) पांचवां अध्यादेश 2016 पटल पर रखा।
उन्होंने इसके साथ ही मजदूरी संदाय (संशोधन) अध्यादेश 2016 भी पटल पर रखा। लोकसभा में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट को भी पटल पर रखा।
राज्यसभा में तीनों अध्यादेशों को संसदीय मामलों के राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने पटल पर रखा। बैंक नोट संबंधी अध्यादेश में 500 और 1000 रुपए के नोटों की देयता से 31 दिसम्बर 2016 के बाद से भारतीय रिजर्व बैंक का कोई सरोकार न होने का जिक्र है। केंद्र सरकार की ओर से भी इन नोटों के लिए कोई गारंटी नहीं होगी।