नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव का सोमवार को बिगुल बजने के साथ ही अगले एक माह तक राजधानी पर पूरे देश की ही नहीं विश्व की भी नजर रहेगी। चुनाव आयोग ने सात फरवरी को मतदान और दस फरवरी को मतगणना की घोषणा की है।
देश की राजनीति में ऎसा कहा जाता है कि जिसकी सरकार दिल्ली में होती है, वही केन्द्र में सरकार बनता है, लेकिन इस बार स्थिति विपरीत है। पिछले साल हुए आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बना चुकी है और अब उनके कंधों पर ही पार्टी को दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत दिलाने का भार है।
नवम्बर 2013 में दिल्ली विधानसभा के चुनाव में भाजपा 15 साल से चले आ रहे अपने राजनीतिक सूखे को खत्म करने में सफल नहीं हो सकी थी और उसकी जीत में पहली बार चुनाव मैदान में उतरी अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने रोडा अटका दिया था। यही स्थिति इस बार भी नजर आ रही है।
चुनाव की घोषणा के बाद भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने दिल्ली में दो तिहाई बहुमत के साथ भाजपा की सरकार बनने का दावा किया है। आप के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व मंत्री मनीष सिसौदिया ने कहा कि पार्टी चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने दावा किया कि केवल आप के पास ही दिल्ली के भविष्य का विजन है और वह इस बार पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएगी।
7 फरवरी को चुनाव होंगे दिल्ली में
दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिए चुनाव सात फरवरी को होंगे और मतगणना दस फरवरी को होगी। चुनाव में दिल्ली के एक करोड़ 30 लाख मतदाता वोट डाल सकेंगे और उनके लिए 11763 मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। 70 सीटों में 12 सुरक्षित सीटे हैं।
मुख्य चुनाव आयुक् त वी एस संपत ने यह घोषणा करते हुए बताया कि चुनाव की अधिसूचना 14 जनवरी को जारी हो जाएगी और 12 फरवरी तक चुनाव प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। नामांकन की अंतिम तिथि 21 जनवरी होगी जबकि नाम वापस लेने की अंतिम तिथि 24 जनवरी होगी।
उन्होंने बताया कि सोमवार से दिल्ली में आदर्श चुनाव संहिता लागू मानी जाएगी। चुनाव में विकलांग मतदाताओं के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। उनके लिए रैम्प भी बनाए जाएंगे और मतदान की व्यवस्था नीचे ही होगी।