सिरोही। सिरोही नगर परिषद की पहली बोर्ड बैठक की प्रोसिडिंग मंगलवार को सभी पार्षदों को वितरीत की गई। इसमें लिए गए प्रस्तावों से यही प्रतीत हो रहा है कि शहरवासियों को वर्तमान भाजपा बोर्ड से बहुत ज्यादा अपेक्षा करने की आवश्यकता नहीं है। प्रोसिडिंग में जाएं तो यह बोर्ड वही करता नजर आ रहा है जो पिछला कांग्रेस का बोर्ड छोडकर गया था। अब इसके लिए नए बोर्ड के कर्ताधर्ताओं के पिछले बोर्ड वाले सलाहकार दोषी है या वह खुद यह फैसला इस बात से होगा कि वह इस प्रोसिडिंग से कितना सीखते हैं।
यह बता रही है प्रोसिडिंग
प्रोसिडिंग जिस पर सभापति और आयुक्त के पद्नाम हैं, उसके अनुसार शहर से चुनकर भेजे गये 25 पार्षदों की जगह आयुक्त लालसिंह राणावत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा के विरोधी काम को प्राथमिकता दी। प्रोसिडिंग के अनुसार आयुक्त ने अनादरा चैराहे, गोयली सर्किल, तीन बत्ती, सर्किट हाउस के सामने, बाबा रामदेव होटल सर्किल पर हाईमास्ट लाइटें लगाने का प्रस्ताव रखा। इसे भाजपा पार्षदों ने ध्वनिमत से पारित किया। जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिजली बचाने के अभियान को शुरू कर चुके हैं, भाजपाई पार्षद आयुक्त के कहने पर इसका प्रस्ताव ले रहे हैं। आयुक्त के कहने पर ही पिछली बार सीसीटीवी कैमरे का प्रस्ताव रखा गया था। जबकि बोर्ड में होना यह चाहिए कि 25 पार्षद अपनी ओर से विकास के प्रस्ताव रखते और उन्हें क्रियान्वित किया जाता। हाईमास्ट लाइटें लगाने के लिए आयुक्त ने उन्हीं चैराहों को चुना गया जहां पर सीसीटीवी कैमरों को इसके बैकअप की जरूरत है। वैसे प्रस्ताव में यह स्पष्ट लिखा गया है कि कांग्रेस पार्षद जितेन्द्रसिंघी और ईश्वरसिंह डाबी ने इसका विरोध किया।
वैसे इतनी हाइमास्ट लाइटों का बिल शहर के हर मकान मालिक के बिजली के बिल में जुडकर आ रहा है और जिस तरह से सरकार बिजली की खपत को कम करने की भावी नीति अपना रही है, इसके लिए डिमांड साइट टेरिफ बढेगा और इन हाइमास्ट लाइटों को शहरी उपकर के तहत बिल बढकर सिरोही शहर के उपभोक्ताओं से जुडकर आएगा। वैसे इन हाइमास्ट लाइटों की खरीद की दरें भी इस बोर्ड के पारदर्शिता के दावो को खोल देगी।
वैसे सोशल मीडिया पर हाल में चल रहा एक फोटो इस बात का शक पैदा कर रहा है कि कहीं पिछले बोर्ड के कथित भ्रष्टाचार के प्रतीक का हाथ नगर परिषद के वर्तमान बोर्ड से तो नही जुड गया है। 10 जनवरी को वायरल हुई यह तस्वीर इस आरोप को भी सच मानने पर मजबूर कर रही है कि भाजपा नेता ही पिछले बोर्ड के कथित भ्रष्टाचार को संरक्षित करते रहे थे।
यह निर्णय भी अटपटे
बैठक से पूर्व खुद सभापति ताराराम ने कहा था कि उन्हे पार्षदों से वार्ड में विकास कार्यों के कोई प्रस्ताव नहीं मिले थे। ऐसे में प्रथम प्रस्ताव में सभी वार्डों में विकास कार्यों का प्रस्ताव ले लिया गया। लेकिन, इसके बाद के सभी प्रस्ताव अटपटे है। इसी प्रस्ताव में बाबा रामदेव चैराहे से लेकर अम्बेडकर सर्किल तक और तीनबत्ती से लेकर रामपुरा मोड तक डबल रोड का निर्माण का निर्णय किया गया है। यानि इस मार्ग के बीच में डिवाइडर भी लगाया जा सकता है। इतने संकडे और कम व्यस्त मार्ग पर यह स्वीकृति भी अजब नजर आ रही है।
जेसीबी और टर्बो ट्रक की खरीद।नगर परिषद के पास पहले ही जेसीबी है और शहर में कचरा परिवहन के लिए पिछले बोर्ड में ही साल भर पहले कचरा उठाने के लिए तीन ट्राॅलियां, दो लोडर टैम्पो खरीदे गए थे। कचरा ढोने के लिए पहले ठेके पर ट्रेक्टर और लगाए हुए हैं। ऐसे में जेसीबी और ट्रक खरीद राज्य सरकार से सफाई के नाम पर आए दो करोड रुपयों को जैसे तैसे ठिकाने लगाने की कवायद ज्यादा नजर आ रही है। यह प्रस्ताव 24 पार्षदों के नहीं है तो खुद सभापति तय करें कि किसके हैं। प्रोसिडिंग के अनुसार इन फिजुल खर्ची वाले निर्णयों का विरोध भी पूर्व बोर्ड में जनता के धन को चूना लगाने का विरोध करने वाले कांग्रेस पार्षद जितेन्द्र सिंघी और ईश्वरसिंह डाबी ही करते रहे। जिसे ध्यान नहीं दिया गया।