अमेठी। रायबरेली और अमेठी की दस में से आठ विधानसभा सीटें कांग्रेस को सौंपकर गठबंधन को मजबूत करने की मुहिम में एक और कदम आगे बढ़ाया गया।
अखिलेश यादव इसके लिए चार विधायकों के टिकट भी काटने पड़े हैं। हालांकि वह मंत्री गायत्री प्रजापति व मनोज पांडेय की सीट अपने हिस्से में करने में सफल रहें है। गौरीगंज सीट पर कांग्रेस का दावा उस समय धराशाही हो गया जब राकेश सिंह ने शुक्रवार को नामांकन कर दिया।
दूसरी ओर अमेठी से कांग्रेस प्रत्याशी अमिता सिंह 9 फरवरी को नामांकन करने का एलान पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच कर चुकी हैं। नामांकन की तैयारियों का जायजा लेने के लिए शुक्रवार को राज्यसभा संसद एवं कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष संजय सिंह अमेठी में थे।
अमिता भी बराबर प्रियंका गांधी वाड्रा से सम्पर्क बनाए हुए हैं। प्रियंका ने उन्हें भरोसा दिलाया की अमेठी से गठबन्धन की प्रत्याशी अमिता सिंह ही होगी। हो कुछ भी गठबन्धन में रायबरेली और अमेठी के सीट पर दरार नजर आने लगी है।
अगर समझौते पर ध्यान दिया जाए तो आठ सीट में से पांच पर ही कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित किया है, इससे यह भी अनुमान लगाया जा सकता है की उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी कितना संवेदनशील रही है।
जब पूरे उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में दो सीट अमेठी और रायबरेली पर अपने टॉप लीडर के प्रतिष्ठा बचा पाई थी वहां भी प्रत्याशी अभी तक घोषित नहीं कर पाई है। जबकि उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस प्रचार समिति के चेयरमैन व सांसद संजय सिंह अमेठी-रायबरेली की सभी दस सीटों पर दावा मीडिया के सामने आ कर कर रहे हैं।
लेकिन पार्टी के और किसी बड़े नेता ने रायबरेली और अमेठी को लेकर कोई बयान देने से दूरी बनाये रखा है। जबकि पार्टी के अंदर रायबरेली और अमेठी में बगावत की लहर देखने को मिल रही है।
गठबंधन पर दबाव बनाने का प्रयास उस समय विफल हो गया कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि रायबरेली अमेठी कोई मुद्दा नहीं है, सूत्रों की माने तो कांग्रेस और सपा में सात-तीन का फार्मूला रायबरेली और कांग्रेस के बीच बना है।
राजा भैया (रघुराज प्रताप सिंह) के करीबी और मुलायम सिंह यादव के करीबी गायत्री प्रसाद प्रजापति का अमेठी व मनोज पांडेय की ऊंचाहार सीट पर सामन्जस्य बैठा पाने में गठबन्धन के रणनीतिकारों को दिक्कत आ रही है।
यह भी तय माना जा रहा है कि रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस प्रत्याशियों को विधानसभा चुनाव में टिकट न दिए जाने का खामियाजा राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को भुगतना पड़ सकता है।