नई दिल्ली/जालोर/सिरोही। जालोर-सिरोही सांसद देवजी पटेल ने वित मंत्री अरूण जेटली से मुलाकात कर पशुपालन कार्य और डेयरी फार्म को कृषि आय सहित सभी प्रकार के आयकर, एक्साइज, वैट आदि सभी करों से मुक्त करने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि डेयरी किसानो के लिए अतिरिक्त आमदनी का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
पटेल ने वित मंत्री को बताया कि देश में सबसे ग्रोथ के साथ भारत का डेयरी सेक्टर दुनिया के किसी भी देश मे चलाए गए एग्रो इकोनाॅमिक प्रोग्राम से अधिक सफल रहा है। इसके बावजूद भी यह सेक्टर आज कई तरह की परेशानियांे से जूझ रहा है। डेयरी प्रोडक्टस पर ऊंचा कर, गायो और भैसो की खराब नस्ल, संगठित डेयरी फार्म का अभाव, निवेश की कमी, डेयरी से जुडी मशीनों और उपकरणो की ऊची कीमतें आदि इस परेशानी का कारण हैं।
सांसद देवजी पटेल ने बताया कि दूध जल्द खराब होने वाला प्रोडक्ट है इसलिए प्रोसेसिंग और उसे पाउडर, बटर, घी, पनीर जैसे लंबे समय तक चलने वाले प्रोडक्टस मे बदलना लग्जरी नहीं बल्कि जरूरत है। अगर इस मामले मे सरकार अच्छी नीति अपनाए तो मिल्क प्रोसेसिंग और मिल्क प्रोडक्टस की मैन्युफैक्चरिंग के लिए संयंत्र स्थापित करने में बडा पूंजी निवेश होगा। डेयरी प्रोडक्टस के उचित रखरखाव के लिए ठोस कोल्ड चेन भी बेहद जरूरी है। इसके लिए भी बडा पूंजी निवेश चाहिए।
ऐसे मंे डेयरी इंडस्ट्री में उपयोग होने वाले सभी मशीनरी और उपकरणो मे एक्साइज डयूटी से मुक्त किया जाना चाहिए।
सांसद पटेल ने कहा कि इस समय डेयरी प्रोडक्टस पर दो फीसदी सेंट्रल सेल्स टैक्स लगता है। इसे खत्म किया जाना चाहिए। कुछ डेयरी प्लांट लो काॅलेस्ट्राॅल घी की मैन्युफैक्चरिंज करते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।
इस पर विभिन्न राज्यो में 5 फीसदी से लेकर 12.5 फीसदी तक टैक्स लगता है और स्किम मिल्क पाउडर पर 5 फीसदी और टेबल बटर क्रीम जैसे प्रोडक्टस पर12.5 फीसदी वैट लगता है। इसी प्रकार दूध पर कोई टैक्स नही लगता है लेकिन युएचआई मिल्क पर वैट लगता है। अतः मिल्क प्रोडक्टस को सभी प्रकार के टेक्स से मुक्त रखना चाहिए।
सांसद देवजी पटेल ने बताया कि लाखों ग्रामीण परिवारों के लिए दुग्ध व्यवसाय आय का दूसरा महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है। रोजगार प्रदान करने और आय के साधन पैदा करने में दुग्ध व्यवसाय की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हो गई है। देश के लगभग ७ करोड ग्रामीण परिवार दुग्ध व्यवसाय में लगे हुए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 70 प्रतिशत मवेशी छोटे, मझौले और सीमान्त किसानों के पास हैं, जिसकी पारिवारिक आमदनी का बहुत बडा हिस्सा दूध बेचने से प्राप्त होता है।
इस सेक्टर की प्रगति से ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अधिक संतुलित विकास होगा। दूध ग्रामीण इलाको मे रहने वालो के लिए खाद्य सुरक्षा और पोषण सुरक्षा के साथ ही जीवन की सुरक्षा भी देता है। दूध देने वाली एक गाय या भैंस पालना किसानो को आत्महत्या करने तक से बचा सकता है। वित मंत्री जेटली ने सकारात्मक प्रयास करने हेतु आश्वस्त किया।