नई दिल्ली। देश की सेना को मजबूत बनाने के लिए भारत ने 20 हजार करोड़ रुपये की आपात सौदों के तहत हथियार, गोला-बारूद व अन्य उपकरणों की खरीदारी की गई है।
पिछले 2 से 3 महीनों के दौरान की गई इस खरीदारी का मकसद सेना को किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार करना है। सूत्रों के हवाले से एक अंग्रेजी दैनिक के समाचार के मुताबिक इस खरीद का मकसद 10 दिनों तक बिना किसी चिंता के प्रचंड लड़ाई लड़ने के लिए तैयार रहने के लिए की गई है।
18 सितम्बर को उड़ी में आतंकी हमले के बाद मुख्य रूप से रूस, इजरायल और फ्रांस के साथ नए अनुबंधों को अंतिम रुप देने की तैयारी चल रही है। वायुसेना ने सुखोई-30 एमकेआई, मिराज 2000 और मिग 29 सहित अन्य लड़ाकू व ट्रांसपोर्ट विमानों के लिए 9200 करोड़ रुपए के 43 अनुबंध किए हैं।
सेना ने केवल रूस की कंपनियों से ही 5800 करोड़ रुपए के 10 अनुबंध किए हैं। इनमें टैंक टी-90 और टी-72 के लिए इंजन, 125 एमएम गोला-बारूद की खरीद होगी। एंटी टैंक मिसाइल और स्मर्च रॉकेट भी खरीदे जा रहे हैं। हालांकि नए ऑर्डर के बावजूद सुरक्षाबलों के पास युद्ध रिजर्व जरूरत के हिसाब से एक तिहाई ही होगा।
पिछले साल की रिपोर्ट के अनुसार सेना के पास रिजर्व गोला बारूद नहीं है। नियमानुसार सेना के पास 30 दिन का गंभीर लड़ाई का और 30 दिन की सामान्य लड़ाई का गोला-बारूद रिजर्व होना चाहिए लेकिन भारतीय सेना के पास ऐसा कोई रिजर्व नहीं है।
उड़ी हमले और 29 सितंबर को सर्जिकल स्ट्राइक की कार्रवाई के बाद सरकार ने सेना, नौसेना और वायुसेना के वाइस चीफ को मिलाकर समितियां बनाई थीं जिससे कि पुरानी मांगों को जल्द से जल्द खत्म किया जा सके। इसी के चलते नए सौदों को मंजूरी देने में तेजी आई है।
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